रत्नसंचय!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नसंचय – विजयार्घ की दक्षिण श्रेणी एवं पष्चिम विदेह क्षंेत्र के नगर का नाम Ratnasancaya- Name of a city situated in Southern Vijayardh Mountain & city of western videh region
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नसंचय – विजयार्घ की दक्षिण श्रेणी एवं पष्चिम विदेह क्षंेत्र के नगर का नाम Ratnasancaya- Name of a city situated in Southern Vijayardh Mountain & city of western videh region
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हैमवत् क्षेत्र – Haimavat Ksetra Name of the 2nd great region in all 7 regions of Jambudvip (island). जम्बूद्वीप के 7 क्षेत्रों मे दूसरा क्षेत्र। यहाॅ जधन्य भोगभूमि है।
एक अनंत Unidirectional finite (like sea). एक दिशा में देखने पर उसका अंत नहीं पाया जाता इसलिये उसको एकानंत कहते हैं- जैसे अथाह समुद्र।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नप्रभा – अघोलोक की प्रथम भूमि,रूढि का नाम घम्मा है। यह एक लाख 80 हजार योजन मोटी हैं। इसके तीन भाग है – खर भाग, पंक भाग अब्बहुल भाग। इसमे खर भाग पंक भाग में भवनवासी और व्यंतर देवो के भवन है। आंैर तीसरे भाग अब्बहुल में नारकियों के भवन है। Ratnaprabha- Name of…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नसंश्रवा – सुमाली का पुत्र तथा रावण का पिता। Ratnasrava- Father’s name of ravan
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हुंडकसंस्थान नामकर्त प्रकृति – Humdakasamsthaana. Naamakarma Prakrti. Physique making karma causing formation of misshapened body. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर बेडौल होता है उसे हुंडक शरीर संस्थान नामकर्म कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लघुमासिक प्रायष्चित – एक प्रकार की प्रायष्चित विधि। Laghumasika Prayascitta-A kind of repentance