बहुश्रुत भक्ति!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बहुश्रुत भक्ति- 16 कारण भावना में एक भावना; उपाध्याय परमेष्ठी की भक्ति करना। Bahusruta Bhakti- Devotion for the scripture-proficients
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बहुश्रुत भक्ति- 16 कारण भावना में एक भावना; उपाध्याय परमेष्ठी की भक्ति करना। Bahusruta Bhakti- Devotion for the scripture-proficients
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदल – Vidala. Pulses (having two parts ) mixed with raw milk or curd, it is not edible according to Jaina phi-losophy. द्विदल; कच्चे दूध – दही – मट्ठा के साथ द्विदल (दो दल वाले दलहन ) पदार्थों के साथ मुख्य की लार का संबंध होने से असंख्य स्म्मुर्छन जीव राशि पैदा…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] फलिसंक्रमण- संक्रमण का एक भेद। Phalisankarmana- A type of transition
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयमलब्धि – स्थान – Sanyamalabdhi – Sthana. The stage for the attainment of restraints. जिस अवस्था विशेष में संयम लब्धि ठहरती हैं “
त्रसनाड़ी A channel or tunnel of mobile beings. लोक के बहु मध्य में एक राजु लम्बा और कुछ कम तेरह राजु ऊंचा बस जीवों का निवास क्षेत्र । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संक्लिष्ट हस्तकर्म – Sanklishta Hastakarma. Hard manual work. छेदन-भेदन करना, पीसना, गूंथना, चित्र बनाना, खोदना आदि कार्य को संक्लिष्ट हस्तकर्म कहते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रोषध – अश्टमी, चतुर्दषी आदि पर्व के दिन उपवास अथवा एक बार भेजन करना। Prosadha- Fasting or one time eating
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == कर्म-मुक्ति : == पक्के फलम्हि पडिए, जह ण फलं बज्झए पुणो विंटे। जीवस्स कम्मभावे, पडिए ण पुणोदयमुवेइ।। —समयसार : १६८ जिस प्रकार पका हुआ फल गिर जाने के बाद पुन: वृन्त से नहीं लग सकता, उसी प्रकार कर्म भी आत्मा से विमुक्त होने के बाद पुन: आत्मा (वीतराग) को…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संकोच विस्तार – Sankoca Vistaara. The state of contraction & expansion of soul points of beings. जीव के प्रदेशों का संहार व विसर्पण ” दीप के प्रकाश के समान जीव के प्रदेशों का संकोच-विस्तार होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रेक्षण मण्डप- अकृत्रिम चैत्यालयों में मुख मंडप के आगे का मंडप। Preksana Mandapa- Front portion of natural temples