रत्नद्वीप!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नद्वीप – राक्षसवंषी भानुरक्ष के दारा बसाया गया एक नगर। Ratnadvipa- Name of a city
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नद्वीप – राक्षसवंषी भानुरक्ष के दारा बसाया गया एक नगर। Ratnadvipa- Name of a city
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निचैर्वृत्त्ति – Nichairvritti. Politeness, Meekness. नम्र वृत्ति, नम्रता” जो गुणों में उत्कृष्ट है उनके प्रति विनय अथवा नम्रता से रहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिव – Shiva. Name of the 13th Tirthankar (Jain-Lord) of past time, Name of a door of samavsharam(assembly of lord). भूतकालीन तेरहवें तीर्थंकर, समवशरण के तीसरे कोट के दक्षिण द्वार का नाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भग्नघट श्रोता – Bhgnaghata Srota. A type of false listener. अपात्र श्रोता का एक भेद; फूटे घड़े की तरह होना जिसमें उपदेश नहीं ठहरता “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] युक्त्यानुषासत – आचार्य समन्तभद्र कृत सस्कृत में 64 ष्लोक ष्लोक प्रमाण स्तोत्र। Yuktyanusasana- name of a book written by acharya samantbhadraji
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वचन प्रत्याख्यान – Vachan Pratyaakhyaana.: Utterance for not repeating something wrong. प्रत्याख्यान (त्याग) का एक भेद; में भविष्य में अपने व्रतों में अतिचार नहीं लगाऊंगा ऐसा बोलना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निष्प्राण – Nishpraana. Lifeless. निर्जीव अर्थात् जिसमें प्राण न हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नत्रयविघान – एक पूजा ग्रथ जिस पर पं आषाघर (इ्र, 1173 – 1243) ने सेस्क्रत में टीका लिखी है। Ratnatrayavidhana- Name of a worshipping book
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वक्ता –Vaktaa: Orator , Speaker , Instructor ,One well –versed in scriptures . शास्त्रों का व्याख्याता ;सर्वज्ञ तीर्थंकर केवली .श्रुतकेवली और आरातीय आचार्य वक्ता के तीन भेद हैं ” सामान्य रूप से किसी भी भाषण करने वाले को भी वक्ता कहते हैं “