पदमध्वज!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पदमध्वज: Auspicious flags in the samavasharan-assembly of Lord, Name of predestined Kulkar (ethical founder). स्मवशरण से संबंधित कमलांकित ध्वजाएं, भविष्य कालीन 14 वें कुलकर ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पदमध्वज: Auspicious flags in the samavasharan-assembly of Lord, Name of predestined Kulkar (ethical founder). स्मवशरण से संबंधित कमलांकित ध्वजाएं, भविष्य कालीन 14 वें कुलकर ।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूर्च्छन–Murchchhan. A type of birth by spontaneous generation. तीन लोको के ऊपर, नीचे और तिरछे देह का चारो ओर सेग्रहण होना अर्थात चारो ओर से पुद्गलो का ग्रहण करके अवयवो की रचना होना, इसी को संमूर्च्छन जन्म कहते है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शाल्मली वृक्ष – Shalmali Vriksha. The silk-cotton tree, this kind of natural trees are found in the south of Sumeru mountain in each of jambudvip, dhatkikhanddvip & Pushkarardhadvip. सेमल (रुई) का वृक्ष; अकृत्रिम जम्बूद्विप रचना के अन्दर सुमेरु पर्वत की दक्षिण दिशा में देवकुरु भोगभूमि में स्थित पृथ्वीकायिक एक अकृत्रिम वृक्ष ” हस्तिनापुर में…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय प्रभावना – Nishchaya Prabhaavanaa. Enlightening the soul by the influence of right belief-knowledge & conduct. मुनि अवस्था में सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चरित्र रूप रत्नत्रय के प्रभाव से आत्मा को प्रकाशमान करना “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == निर्वाण : == जाइ—जर—मरणरहियं परमं कम्मट्ठवज्जियं सुद्धं। णाणाइचउसहावं अक्खयमविणासमच्छेयं।। —नियमसार : १७७ निर्वाण की स्थिति जन्म, जरा व मरण से रहित होती है। वह आठ कर्मों से रहित, उत्कृष्ट एवं शुद्ध है। वह अनंत दर्शन, अनंत ज्ञान, अनंत सुख व अनंत वीर्य—इन चार आत्मिक स्वभावों से युक्त है,…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पदज्ञान: Knowledge to be perceived through syllabary, Grammatical knowledge. अक्षरों से होने वाले ज्ञान को उपचार से पदज्ञान कहते है। व्याकरण ज्ञान, इसे पद विद्या भी कहते है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेत्रासन –Vetrasana Shape of lower world (like drum with narrow middle part) मुढे के समान अधोलोक का आकार “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लौकिक संगति –Laukika Sangati : Worldly relationship . लौकिक जनों का संसर्ग या सांसारिक असंयमी जनों की संगति “संयमीजनों के लिए असंयमीजनों की संगति निषिद्ध मानी गई है
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पतझड :Autumn(time of decay) cause for the worldly disattachment of Lord Suparshvanath & Shreyansnath. भगवान सुपाश्र्वनाथ एवं श्रेयांसनाथ के वैराग्य का कारणं।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूलवर्ण–Mula Varna. The basic 64 syllables. मूल64 अक्षर जो अनादि से जिनागम में प्रसिद्ध है”