सादि बंध!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सादि बंध – Saadi Bandha. Rebinding of karmas. जिस कर्म प्रकृति के बन्ध का अभाव होकर पुनः बन्ध होता है वह सादिबन्धी प्रकृति कहलाती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सादि बंध – Saadi Bandha. Rebinding of karmas. जिस कर्म प्रकृति के बन्ध का अभाव होकर पुनः बन्ध होता है वह सादिबन्धी प्रकृति कहलाती है।
ईर्यासमिति Carefulness in walking. देखें – ईर्यापथशुद्धि यह मुनियों का एक मूलगुण है 5 समितियों में प्रथम समिति।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तीर्थ दर्शन Paying reverence (in direct or indirect way) to place of pilgrimages. संयम की विराधना न करते हुए तत्पर मन से तीर्थ वंदना करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्थान – Sansthaana. The figure of beings etc., An institute. आकृति को संस्थान कहते हैं (जीवों का गोल, त्रिकोण आदि आकार), संस्था “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सागर – Saagara. Ocean, sea, name of the main questioner in the assembly of Lord Ajitnath. समुद्र, मध्यलोक मे द्वीपांे का वेष्टित करते हुए एक के पीछे एक असंख्यात सागर है। तीर्थकर अजितनाथ का मुख्य प्रश्नकर्ता।
उष्माहार One of the figs – a fruit, not edible according to Jain philosophy . देखें-ओजाहार।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उष्ट्रकूट श्रेणी Camel back range . ऊँट की पीठ की तरह प्रदेशों की निषेक रचना को उष्ट्रकूट श्रेणी कहते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] ललितांग देव – सल्लेखना के प्रभाव से उत्पन्न एषान स्वर्ग का देव। ये ऋशभदेव भगवान के पूर्व का 9 वा भव है। Lalitamga Deva-Name of a heavenly deity, The pre birth soul of Lord Rishabdev
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हेमकूट – Hemakuuta. Name of the 40th city in the south of Vijayardh mountain. विजयार्ध पर्वत की दक्षिणी श्रेणी का 40वां नगर।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिंगशुद्धि – कर्मो को निर्मूल करना एवं जिनदेव कथित धर्म पर परमार्थभूत भक्ति प्रेम रखना।ऐसा करने वाले मुनियो में लिग शुद्धि होती है। Limgasuddhi-Absolute purity of the mind of a saint