शोक वेदनीय!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शोक वेदनीय – Shoka Vedaneeya. Karma causing sorrow or grief. मोहनीय कर्म के नोकषाय वेदनीय कर्म का एक भेद जिसके उदय से जीव शोक का वेदन (अनुभव) करता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शोक वेदनीय – Shoka Vedaneeya. Karma causing sorrow or grief. मोहनीय कर्म के नोकषाय वेदनीय कर्म का एक भेद जिसके उदय से जीव शोक का वेदन (अनुभव) करता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशंसा- गुणों को प्रकट करने का भाव प्रषंसा है। Prasansa- Commendation, Admiration
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पूर्वाभाद्रपद – Purvabhadrapada. Name of a lunar. एक नक्षत्र का नाम “
चन्द्रप्रज्ञप्ति A type of scriptural knowledge (Shrutgyan), A Shvetambar book and also the name of a book written by Acharya Amitgati. अंगश्रुत ज्ञान का एक भेद; इसमें की आयु , परिवार , ऋद्धि आदि का लाख ५००० पदों में वर्णन झाई , एक श्र्वेताम्बर ग्रन्थ एवं आचार्य अमितगति द्वारा रचित एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्याख्यानावरण कशाय- pratyakhyanavarana kasaya Passions obscuring or causing destruction of complete right conduct. जो कशाय सकल चारित्र का घात करे, इसके क्रोध आदि भेद है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भीमसेन – Bhimasena. Name of an Acharya, one of the 5 Pandvas. आचार्य अभयसेन के शिष्य जिनसेन के गुरु एक आचार्य, ५ पांडवों में एक पांडव ” इन्हें भीम कहते हैं, इनके शरीर में बहुत बल था “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुखनिर्विष ऋद्धि–Mukhanirvisha Riddhi. A type of super natural power of making poisionless. जिस ऋद्धि के प्रभाव से उग्र विष से मिला हुआ आहार भी जिनके मुख में जाकर निर्विष हो जाता है अथवा जिनके मुख से निकले हुए वचन के सुनने मात्र से महाविष व्याप्त भी कोई व्यक्ति निर्विष हो जाता है”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यथातथानुपूर्वी–Yathatathanupurvi. See – Yatrattranupurvi. देखें –यत्रतत्रानुपूर्वी”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्तर – Sanstara. Bed, Dry grass bed. शय्या ” दिगम्बर जैन साधुओं का संस्तर तृण, चटाई आदि का होता है “