चन्द्रप्रभचरित!
चन्द्रप्रभचरित Name of books written by different Acharyas separately. आचार्य वीरनंदि (ई.९५०-९९९) कृत महाकाव्य, आचार्य श्रीधर (ई.श. १४) की प्राकृत रचना, आचार्य शुभचंद्र (ई. १५१६-१५५६) की संस्कृत रचना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चन्द्रप्रभचरित Name of books written by different Acharyas separately. आचार्य वीरनंदि (ई.९५०-९९९) कृत महाकाव्य, आचार्य श्रीधर (ई.श. १४) की प्राकृत रचना, आचार्य शुभचंद्र (ई. १५१६-१५५६) की संस्कृत रचना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
द्रव्यास्तिक नय Substantive standpoint. देखें – द्रव्यार्थिक नय। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == वाणी : == पुव्विं बुद्धीए पासेत्ता, तत्तो वक्कमुदाहरे। अचक्खुओ व नेयारं, बुद्धिमन्नेसाए गिरा।। —व्यवहारभाष्य पीठिका : ७६ पहले बुद्धि से परखकर फिर बोलना चाहिए। अंधा व्यक्ति जिस प्रकार पथ—प्रदर्शक की अपेक्षा रखता है, उसी प्रकार वाणी बुद्धि की अपेक्षा रखती है।
द्रव्यसंयोगपद A special type of nomenclature associated with something. इभ्य, गौथ, दण्डी, छवी, गर्भिणी इत्यादि द्रव्यसंयोग पद नाम है क्योंकि धन, गूथ, दण्डा, छत्ता इत्यादि द्रव्य के संयोग से ये नाम व्यवहार में आते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैक्रियिक काययोग –VaikriyikaKayayaga Vibration in the soul points of transformable body of deities & hellish beings. वैक्रियिक शरीर में या उसके द्वारा जो आत्मा के प्रेदशो में परिस्पंदन होता हैं उसको वैक्रियिक काययोग कहते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भागफल्गु – Bhagaphalgu. Name of the 54th chief disciple of Lord Rishabhdev. तीर्थकर वृषभदेव के ५४ वें गणधर “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाह – Vaaha.: An exclaimative word, A kind of former weighting unit. आश्चर्यरूप अभिव्यक्ति का एक शब्द जैसे –‘अरे वाह’ ” तौल का एक प्रमाण ;20 खारी = 1 वाह “
द्रव्य युति State of the unity of matters.समीपता या संयोग का नाम युति है जीवयुति, पुद्गलयुति और जीवपुद्गलयुति के भेद से द्रव्य युति तीन प्रकार की है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]