दैत्य!
दैत्य A type of knowledge, Demon, Evil spirit. एक प्रकार की विद्या, राक्षस।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दैत्य A type of knowledge, Demon, Evil spirit. एक प्रकार की विद्या, राक्षस।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वंचना – Vanchanaa.: Deceit ,deceiving, deception, cheating. ठगना,माया ,आत्मा का कुटिल भाव ;इसका ही दूसरा नाम निकृति या वंचना है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निशिधिका – Nishidhikaa. Place of salvation of Lord Arihant etc. or place of reverential cremation. अर्हत आदि भगवान के निर्वाण क्षेत्र व मुनिराज के समाधि स्थान को निषिधिका कहते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिखरी (कूट) – Shikharee (koota). A summit situated at the Shikhari mountain. शिखरी पर्वतस्थ एक कूट “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शास्त्रार्थ – Shaastraartha. Religious interpretation or a doctrinal debate. वाद, धर्म प्रभावना के अर्थ में किया जाने वाला वाद “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय व्रत – Nishchaya Vrata. Self realization, the super character of one. शील अर्थात् अपनी आत्मा से अपनी आत्मा में प्रवृति करना “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == ममत्व : == ममता खट परै रगे, ओनीदे दिन रात। लेनो न देनो इन कथा, भोरे ही आपत जात।। —आनन्दघन ग्रंथावली :: पद : ३५ ममता नारी में यदि कोई गुण है तो वह है मोहित करने का। किन्तु वह स्वर्ण—कटार किस काम की, जिसका स्पर्श—मात्र प्राणान्त का…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शालवन – Shaalavana. The initiation forest of Lord dharmanath. तीर्थंकर धर्मनाथ के दीक्षा वन का नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय पूजा – Nishchaya Poojaa. To acieve the super knowledge of self. मुनि अवस्था में “जो परमात्मा है वह ही मै हूँ तथा जो स्वानुभवगम्य मै हूँ वही परमात्मा है, इसीलिए मै ही मेरे द्वारा उपासना के योग्य हूँ” ऐसा विचार करना ” अर्थात् आत्मा के ध्यान में एकाग्र हो जाना “