पिपासा परीषह!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिपासा परीषह – Pipasa Parisaha. Affliction of thirst. २२ परीषहों में एक परीषह; साधुओ का खेद रहित होकर प्यास की बाधा को सहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिपासा परीषह – Pipasa Parisaha. Affliction of thirst. २२ परीषहों में एक परीषह; साधुओ का खेद रहित होकर प्यास की बाधा को सहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नपुरी तीर्थ – तीर्थकर घर्मनाथ भगवान की जन्मनगरी का नाम, ये वर्तमात में उ प्र के फैजाबाद जिले में स्थित है।सती मनोवती की गजमोती चढाकर जिनेन्द्र भगवान के दर्षन करने की प्रतिज्ञा यही पूर्ण हुयी थी। इसे रौनाही के नाम से भी जाना जाता है। Ratnapuri(Tirtha)-Name of a place of pilgrimage, The birth place…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुक्ष्म निगोध – Sukshma Nigoda. See- Nigoda Suksma. देखे – निगोध सुक्ष्म ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिंडशुध्दि – Pimdasuddhi. Super purity of food, Human body with pescribed racial purity. आहार शुध्दि; मुनि ४६ दोष, ३२ अन्तराय, १४ मल दोष रहित भोजन ग्रहण करते हैं. शरीर शुध्दि; जाति व कुल शुध्दि से युक्त मानव शारीर “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लक्षणाभास – मिथ्या अर्थात सदोश लक्षण। Laksanabhasa-faulty characteristics (A fallacy)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यायरत्नाकमाला – Nyaayaratnamaalaa. Name of a book written by Parthsarthi Mishra. मीमांसा दर्शन साहित्य प्रवर्तक पार्थसारथिमिश्र द्वारा रचित एक ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] युगादि पुरूश – कुलकर, युग के आदि में होने से इन्हेही युगादि पुरूश कहते है ये मुख्यत 14 होते है। Yugadi Purusa-The great personalities (Kulkars) in the beginning of the era
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्गित संवर्गित – Vargita Sanvargita. Raising a number to its own power. विरलन –देय से प्राप्त संख्याओं को परस्पर गुणा कर देने से उस संख्या का वर्गित संवर्गित प्राप्त होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भरतेश्वराभ्युदय – Bharatesvarabhyudaya. A book written by Pandit Ashadhara. पं. आशाधर जी (ई. ११७३-१२४३) कृत एक ग्रंथ “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == लोभी : == सुवर्णरूप्यस्स च पर्वता भवेयु:, स्यात् खलु कैलाससमा असंख्यका:। नरस्य लुब्धस्य न तै: किंचित्, इच्छा खलु आकाशसमा अनन्तिका।। —समणसुत्त : ९८ कदाचित् सोने और चाँदी के कैलास के समान असंख्य पर्वत हो जाएं, तो भी लोभी पुरुष को उनसे तृप्ति नहीं होती, क्योंकि इच्छा आकाश के…