उन्मुख!
उन्मुख Raising the face, Looking upwards, Name of 9th Narad (a sage) of present era. चेहरा उठाना ऊपर देखना नवम नारद-इनकी आयु कृष्ण के बराबर एक हजार वर्ष की थी।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उन्मुख Raising the face, Looking upwards, Name of 9th Narad (a sage) of present era. चेहरा उठाना ऊपर देखना नवम नारद-इनकी आयु कृष्ण के बराबर एक हजार वर्ष की थी।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संभ्रांत – Sanbhraanta. Confused, Agitated, Honoured, Respected, A dwelling place in the first land of hell. उद्विग्न, भ्रमित, सम्माननीय, आदरणीय, पहली धर्मा नरक पृथिवी के 13 प्रस्तारों में छठे प्रस्तार का छठा इन्द्रक बिल “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रसुक विहारी- जो साधु ग्राम में एक रात और नगर में पाँच दिन तक रहते हैं वे प्रासुक विहारी कहलाते है। Prasuka vihari- A well conducting saint (Reg. prescribed rule of staying and movement)
उपकरण बकुश A kind of saints having attachment in their articles. बकुश मुनि का एक भेद जिन साधुओं की आसक्ति पिच्छी कमंडलु शास्त्र आदि उपकरण की शोभा बढ़ाने में होती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्चत्वारिंशत – Satcatvaarinshata. Forty six (46 virtues of Lord Arihant etc.) 46 (अर्हंत भगवान के 46 गुण, आहार के 46 दोष, वसतिका सम्बंधी 46 दोष आदि )
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधन बद्धत्व- अनादिकाल से जीव का कर्म वंधन से बद्ध होना। Bandhana Baddhatva- binding of soul with karmas.
उपचार विनय Formal respect, Reverential homage. आचार्य आदि के समक्षा आने पर खडे़ हो जाना उनके पीछे-पीछे चलना और नमस्कार आदि करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संभवचरिउ – Sambhavachariu. Name of a treatise written by poet Tejapal. कवि तेजपाल द्वारा (ई. 1443) रचित यथनाम विषयक अपभ्रंश ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्लेष संबंध – Shlesa Sambandha. Close relation (togetherness). संश्लेष संबंध, परस्पर संबंध को प्राप्त होना, जैसे काष्ठ और लाख का संबंध, दूध और जल का संबंध “
इंद्रिय व्याधि Diseases, Internal deterioration. इन्द्रिय बीमारी इन्द्रिय विषयों में आसक्ति हर्ष विषाद।[[श्रेणी:शब्दकोष]]