मनुष्यणीसिद्ध!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनुष्यणीसिद्ध – Manushyaniisiddha. Those salvated from Bhav Strived (according to Bhutpragyapan Naya). भाव स्त्रीवेद से सिद्ध होने वाले जीव ये अल्पबहुत्व की अपेक्षा स्तोक हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनुष्यणीसिद्ध – Manushyaniisiddha. Those salvated from Bhav Strived (according to Bhutpragyapan Naya). भाव स्त्रीवेद से सिद्ध होने वाले जीव ये अल्पबहुत्व की अपेक्षा स्तोक हैं “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वस्थान गोपुच्छा – Svasthaana Gopucchaa. Reducing sepuence of Karmic results (related to Krishties). विवक्षित एक संग्रह कृष्टि मे जो अंतरकृष्टियाके के विषेष धटना क्म पाया जाता है उसे स्वस्थान गोपुच्छा कहते है।
त्रिवेद The three Vedas, classification of three genders. स्त्री वेद, पुरूष वेद, नपुंसक वेद। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनःप्रत्याखयान Renunciation of all infractions mentally. मन से मैं अतिचारों को भविष्यत्काल में नहीं करूंगा , ऐसा विचार करना “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्ववचनबाधित – Svavacanabaadhita. Self obstructive speech. बाधित विषय हेत्याभास के 4 भेदो मे अंतिम भेद। जिसके साध्य मे अपने वचन से ही बाधा आती है। जैसे- मेरी माता बन्ध्या है क्योकि पुरुष का संयोग होने पर भी उसके गर्भ नही ठहरता।
दिक् Directions, A mountain situated in Lavan ocean. दिशाएँ, लवण समुद्र में स्थित एक पर्वत।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बीज – Bija. Mystical letter of Mantra or incantation, Seeds. मंत्रो का मूल अक्षर या शब्द ” जिनमें वनस्पति आदि रूप अंकुरण करने की क्षमता हो “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] स्वरुपास्तित्व – Svaruupaastitva. A type of existence; power to show existence of each & every matter separately. अस्तित्व के दो भेदो मे एक भेद। अवान्तर सत्ता-प्रतिनियत वस्तुवर्ती तथा स्वरुपास्तित्व की सूचना देने वाली (अर्थात् पृथक्-पृथक् पदार्थ का पृथक्-पृथक् स्वतंत्र अस्तित्व बताने वाली ) अवान्तरसत्ता है।
त्रिवर्ग महेन्द्र- मातलि जल्प A book written by Acharya Somdeva. आचार्य सोमदेव (ई.943-968) कृत एक न्याय ग्रंथ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संधान – Sandhaana. Pickles, Jam (non-edible according to Jain philosophy). अचार व मुरब्बा ” त्रस जीवों से संसिक्त होने से ये अभक्ष्य हैं “