विषयासक्ति!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विषयासक्ति –Visayasakti. Engrossment in worldly pleasures. अशुभोपयोग; विषयों के प्रति उपयोग की मग्रता या अवगाढता
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विषयासक्ति –Visayasakti. Engrossment in worldly pleasures. अशुभोपयोग; विषयों के प्रति उपयोग की मग्रता या अवगाढता
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेद – Veda Gender. लिंग ” स्त्री लिंग , पुरुष लिंग, नपुंसक लिंग”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्ष गति विधान – Sparssa Gati Vidhaana. type of anyyogdwar (disquisition door).देखे- स्पर्श अंतर विधान।
तत्वज्ञ One possessing real and true knowledge. तत्वों का यथार्थ ज्ञाता ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रचण्ड – Prachanda. Great force, Impetous, Violence, Vehemence. तीक्ष्ण, उग्र, उत्कट, भीषण “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृषभ – Vrsabha. Another name of Lord Rishabhdev. A bull: a significant mark of Lord Rishabhadev भगवन ॠषभदेव का एक नाम , बैल , जो भगवन ॠषभदेव का चिन्ह हैं “
त्रिगर्त Sovereign of three Khands (divisions) of Bharat Kshetra etc. भरत क्षेत्र मध्य आर्य खण्ड का देश। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुकुंद– Mukund. Name of a mountain of Bharat Kshetra Arya Khand (region). भरत क्षेत्र के आर्य खण्ड का एक पर्वत”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == मुक्ति : == जह पंकलेवरहिओ जलोविंर ठाइ लाउसो सहसा। तह सयलकम्ममुक्को लोगग्गे ठाइ जीवो वि।। —कुवलयमाला : १७९ जैसे कीचड़ के लेप से रहित होते ही तूंबा जल पर सहसा तैरने लग जाता है, वैसे ही जीव कर्ममल से मुक्त होकर लोकाग्र पर स्थित हो जाता है।