भाज्य!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाज्य – Bhajya. Divisible, Portion, Dividend. वह संख्या जो भाजक द्वारा भाग दी जाती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाज्य – Bhajya. Divisible, Portion, Dividend. वह संख्या जो भाजक द्वारा भाग दी जाती है “
दिक्वास A mountain situated in Lavan ocean. लवण समुद्र में स्थित एक पर्वत ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वामन मुनि –Vaamana Muni.: Name of a writer of ‘Memandra Puran’(a treatise). मेमंदर पुराण के रचयिता “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यप्रकृति – Punyaprakrti. Meritorious Karmic nature (are 68 in Jaina philosophy). कर्मों की ६८ प्रकृतियाँ पुण्यरूप हैं, साता वेदनीय, नरकायु के बिना तीन आयु, उच्चगोत्र, मनुष्यदिक्, देवदिक्, पाँच शरीर आदि “
दश धर्म Ten right virtues of Jain religion (forgiveness etc.). उत्तम क्षमा आदि दश लक्षण धर्म ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विष्णुनंदि –Visnunandi. Name of an omniscient after Lord Mahavira. भगवान महावीर के बाद हुए पंचम श्रुतकेवली, समय – ई. पू. ४६५-४५१, अपरनाम नंदि था “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंजिका – Panjikaa. A descriptive book of odd items. वृत्तिसूत्रों के विषम पदों को स्पष्ट करने वाले विवरण को पंजिका कहते हैं “
दश करण Ten operational Karmic activities. कर्म की 10 अवस्थाएं, बन्ध , उत्कर्षण , संक्रमण, अपकर्षण, उदीरणा, सत्व, उदय, उपशम, निधत्ति और निःकाचना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैरत्याग –Vairatyaga. Renunciation of mutual hostility (absence of hostility among beings is an excellence of Lord Arihant) अरहंत भगवन का देवकृत एक अतिशय, जीव पूर्व वैर को छोड़कर आपस में मैत्री भाव से रहने लगते हैं “