मिश्र पूजा!
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिश्र पूजा–Mishra Puja. To worship Lord ’Jina’, preceptors and ‘Books’ (scriptures). द्रव्य पूजा का एक भेद; प्रत्यक्ष उपस्थित जिनेन्द्र भगवान् और गुरु एवं कागज आदि पर लिपिबद्ध शास्त्र की पूजा करना”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिश्र पूजा–Mishra Puja. To worship Lord ’Jina’, preceptors and ‘Books’ (scriptures). द्रव्य पूजा का एक भेद; प्रत्यक्ष उपस्थित जिनेन्द्र भगवान् और गुरु एवं कागज आदि पर लिपिबद्ध शास्त्र की पूजा करना”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म तद्व्यतिरिक्त – Nokarma Tadvyatirikta. External causes for the state of any particular karmas. निक्षेप- किसी कर्म की अवस्था के लिये जो बाहरी कारण हो जैसे, क्षयोपशम रूप मतिज्ञान के लिए पुस्तक अभ्यास आदि “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == स्नेह : == नियलेहि पुरिओ च्चिय वच्चइ पुरितो जहिच्छियं देसं। एक्कं पि अंगुलमिणं, न जाइ घणनेह—पडिबद्धो।। —पउमचरिउ : ५६९ जंजीरों से बंधा हुआ मनुष्य इच्छानुसार देश में जा सकता है, पर घने स्नेह से जकड़ा हुआ मनुष्य एक अंगुल भी नहीं जा सकता।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वट्टकेर –Vattakera: Another name of kund-kund Acharya,who wrote Moolachar Granth (a treatise). आचार्य कुन्दकुन्द का अपरनाम जिन्होंने मूलाचार ग्रन्थ की रचना की “समय –ई .स .127 -179 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नैसर्गिक गुण – Naisargika Guna. Internal qualities. स्वाभाविक, अन्तर्जात गुण “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शील – Sheela. Virtuous and moral conduct. दान, पूजा, शील, उपवास गृहस्थों के इन 4 धर्मों में से एक ” दया, व्रतों की रक्षा, ब्रह्मचर्य एवं सदगुणोंका पालन करना शील कहलाता है ” अथवा व्रतों की रक्षा करने वाले 3 गुणव्रत एवं 4 शिक्षाव्रत को शील कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नैगमनय – Naiamanya Figurative standpoint that indicates circumstatial knowledge 7 नयों में प्रथम नय; यह अनिष्पत्र अर्थ में संकल्प मात्र को विषय करता है ” जैसे-किसी मनुष्य को पापी लोगों का समागम करते हुए देखकर नारकी कहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रचमर – Vajrachmar Name of the first chief disciple of Lord Padmaprabhu. तीर्थंकर पद्मप्रभु ले प्रथम गणधर, अपरनाम वज्रचमर था “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नेमिचन्द्र भट्टारक – Nemichandra bhattaaraka. See – Nemichandra. देखें – नेमिचंद्र “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव संयोगपद – Bhava Samyogapada. Compound words showing passions. पद का एक भेद; क्रोधी, मानी, मायावी और लोभी इत्यादि नाम जो भावों के निमित्त से व्यवहार में आते हैं “