सांपरायिक!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांपरायिक – Saamparaayika. Mundane inflow, passionful influx. कषाय सहित अर्थात् जो कर्म संसार का प्रयोजक है वह साम्परायिक है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांपरायिक – Saamparaayika. Mundane inflow, passionful influx. कषाय सहित अर्थात् जो कर्म संसार का प्रयोजक है वह साम्परायिक है।
==चोरी== बिना दिये किसी की गिरी, पड़ी, रखी या भूली हुई वस्तु को ग्रहण करना अथवा उठाकर किसी को दे देना चोरी है। इस पाप के करने वाले चोर कहलाते हैं। अथवा Theft, Robbery, Stealth, Concealment. चोरी-रखे हुए , गिरे हुए , भूले हुए अथवा धरोहर रखे हुए परद्रव्य को हरना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]] धर्मात्मा सुरेन्द्रदत्त सेठ…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनोयोग – Manoyoga. Mental concentration , Vibration in soul – points due to mental activity. मन के निमित्त से आत्म प्रदेशों में उत्पन्न परिस्पंदन क्रिया “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिष्ठापन समिति- 5 समितियों में एक समिति; निर्जतुभूमि पर मल मूत्रादि का विसर्जन करना। pratisthapana samiti – carefulness in excertion of faces etc. body wastes (waste disposal)
इंद्राग्नि A presiding deity of a lunar ‘Vishakha’. विशाखा नक्षत्र के अधिपति देवता।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रदोष- ज्ञानावरण दर्षनावरण के आस्त्रव का कारण एक भाव; मन में द्वेश भाव का होना। pradosa – illusive or maliceful mentality
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवचन मातृका – 5 समिति और ३ गुप्ती ऑफ़ प्रवचन मातृका कहते है ” Pravacanamatrka- Conduct with carefulness and self control
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोगगति- एक प्रकार की गति; पुरुश के प्रयोग से होने वाली बाण, चक्र आदि की गति। Prayogagati- Speed of arrow, wheel etc.
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == जीव : == प्राणैश्चतुर्भिर्जीवति, जीविष्यति य खलु: जीवित: पूर्वम्। स जीव:, प्राणा:, पुनर्बलमिन्द्रियमायुरुच्छ्वास:।। —समणसुत्त : ६४५ जो चार प्राणों से वर्तमान में जीता है, भविष्य में जीयेगा और अतीत में जिया है, वह जीव द्रव्य है। प्राण चार हैं—बल, इन्द्रिय, आयु और उच्छ्वास। अणुगुरुदेहप्रमाण: उपसंहारप्रसप्र्पत: चेतयिता। असमवहत: व्यवहारात्,…