चिंतागति!
चिंतागति Son of the king Suryaprabh of Suryaprabh city in the north of Vijayardh mountain. विजयार्ध पर्वत की उत्तर श्रेणी में सूर्यप्रभ नगर के राजा सूर्यप्रभ का पुत्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चिंतागति Son of the king Suryaprabh of Suryaprabh city in the north of Vijayardh mountain. विजयार्ध पर्वत की उत्तर श्रेणी में सूर्यप्रभ नगर के राजा सूर्यप्रभ का पुत्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
देयद्रव्य Matters to be added into Nishek and Krishti (specific Karmic aggregate). देने योग्य पदार्थ (व्यवहारिक अर्थ) जो द्रव्य निषेकों व कृष्टियों आदि में जोड़ा जाता है, उसे देय द्रव्य कहते हैं। (सैद्धान्तिक अर्थ)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ विचार – Shubha Vichaara. Auspicious & healthy thoughts or thinking. संयम आदि के उत्तम विचार रखना एवं आर्त-रौद्र ध्यान का त्याग करना “
दृष्टिभेद Differences in view or vision. विचारों में या दृष्टिकोण में भेद, या अंतर होना ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ तैजस समुद्र्घात – Shubha Taijasa Samudghaata. Emanation of auspicious radiant effigy like body (spiritual form) from a super saint causing prosperity all around. ऋद्धिधारी मुनि को दया अनुकंपा आने पर दाहिने कंधे से हंस और शंख वर्ण वाला शरीर निकलकर जो दुर्भिक्ष आदि सर्व बाधा को नष्ट कर सुख उत्पन्न करता है “
दुष्प्रयुक्त निक्षेप Involvement in wicked and vicious activities. अजीवाधिकरण का एक भेद मन वचन काय की दुष्टता पूर्वक प्रवृत्ति करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भद्रशाल वन – Bhadrasala Vana. The first forest of Sumeru mountain. सुमेरु पर्वत के ४ वनों में प्रथम वन ” जिसकी चारों दिशाओं में चार अकृत्रिम जिनमंदिर हैं “
दुर्योधन The eldest son of Dhritrashtra. घृतराष्ट्र का पुत्र दुःशासन आदि सौ भाइयों का अग्रज।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चतुर्विध बंध Four types of Karmic bondage. ४ प्रकार का कर्मबंध ; प्रकृति , प्रदेश , अनुभाग , स्थिति बंध ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समयमूढ़ता – Samayamoorhataa. Inclination towards false beliefs because of magnificence of wrong philosophy. आश्चर्य उत्पन्न करने वाले ज्योतिष, मंत्रवाद आदि को देखकर सर्वज्ञ कथित धर्म को छोड़कर मिथ्या देव-श्षास्त्र और खोटा तप करने वाले कुलिंगियो एवं कुधर्म को भय, वांछा और लोभ से प्रणाम, विनय, पूजा, सत्कार आदि करना समयमूढ़ता है।