प्रशमभाव!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशमभाव-पंचेन्द्रियों के विषयों में शिथिल मन का होना ही प्रशम भाव कहलाता है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशमभाव-पंचेन्द्रियों के विषयों में शिथिल मन का होना ही प्रशम भाव कहलाता है”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकीर्णक देव – Prakirnaka Deva. A type of deites (as common citizens). देवों के दश भेदों में से एक; जो देव प्रजा के समान होते हैं “
गति Movement, motion, Destinity, body form i.e. form of the body (of beings) in which one (soul) exists. चाल, गति नामकर्म के उदय से जो पर्याय हो; नरक, तिर्यंच, मनुष्य व देव ये जीवों की ४ गतियाँ हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनंयभद्र – Vinayabhadra. One of the disciples of pandit Ashadhar. पं. आशाधरजी के अनेक शिष्यों में से एक शिष्य “
त्रिगुणसार व्रत A country of Bharat kshetra in middle Arya Khand (region). क्रमशः 1,1,2,3,4,5,4,4,3,2,1 इस प्रकार 30 उपवास करना व णमोकार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदुर – Vidura. The younger brother of Dhritrashtra- Pandu of kaurav dynasty. कौरववंशी धृतराष्ट्र – पाण्ङू का छोटा भाई ” पाण्ङवों के परम हितैषी, अंत में मुनि विश्वकीर्ति से मुनि दिक्षा ली ” लाक्षा ग्रह में विदुर द्वारा बनवाई गई सुरंग से ही निकलकर पाण्ङवों की प्राण रक्षा हुई “
गंगाकूट A summit situated at ‘Himvana’ mountain. हिमवान् पर्वत स्थित एक कूट । [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्णभद्र (कूट) – Poornabhadra (Koota). Name of summits situated at Vijayardh & Malyavan Gajdant mountain. ऐरावत क्षेत्र के विजयार्ध पर्वत एवं माल्यवान गजदंत पर्वत का एक कूट “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाभिगिरी – Nabhigiri Circular mountain at the center of Haimvata etc. areas भरत एरावत व विदेह छेत्र को छोड़कर शेष हेमवत आदि चार छेत्रों के मध्य भाग में गोल पर्वत ”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == ज्ञाता : == ण हु सासणभत्ती—मेत्तएण सिद्धंतजाणओ होइ। ण वि जाणओ वि णियमा, पण्णवणाणिच्छिओ णामं।। —सन्मति तर्क् प्रकरण : ३-२६ मात्र आगम की भक्ति के बल पर ही कोई सिद्धान्त का ज्ञाता नहीं हो सकता और हर कोई सिद्धान्त का ज्ञाता भी निश्चित रूप से प्ररूपणा करने के…