पुनरलङ्कृत!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुनरलङ्कृत – Punaralankrta. Re- embellished. पुनः सुशोभित किया हुआ या सजाया हुआ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुनरलङ्कृत – Punaralankrta. Re- embellished. पुनः सुशोभित किया हुआ या सजाया हुआ “
उपदेश रूचि Right belief generated by a sermon, preaching. उपदेश सम्यक्त्व- तीर्थंकर आदि महापुरूषों के जीवन चरित्र को सुनकर जो सम्यग्दर्शन होता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == शत्रु : == एक: आत्माऽजित: शत्रु:, कषाया इन्द्रियाणि च। तन् जित्वा यथान्यायं, विहराम्यहं मुने।। —समणसुत्त : १२४ अविजित एक अपना आत्मा ही शत्रु है। अविजित कषाय और इन्द्रियां ही शत्रु हैं। हे मुने ! मैं उन्हें जीतकर यथान्याय (धर्मानुसार) विचरण करता हूँ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल द्रव्य विशेष गुण – Pudgala Dravya Visesa Guna. Particular properties of the matter (Pudgal). स्पर्श, रस, गंध, वर्ण, मुर्तत्व, अचेतनत्व ये ६ गुण पुद्गल द्रव्य के विशेष गुण हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बालक्षुत – Balasruta. Reading of wrong scriptures. आत्म स्वभाव से विपरीत बहुत प्रकार के शास्त्रों का पढ़ाना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यप्रभ -Punyaprabha. Protecting deity of Kshaudravaradvip (island). क्षौद्रवर द्वीप का रक्षक देव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वादी – Vaadii.: Expert in spiritual argument,Preceptor possessing knowledge of main principle of Jainism,The plaintiff, a complainant. शास्त्रार्थ में विजय प्राप्त करने में कुशल ,मुनियों का एक भेद-सिद्धांतो के प्रतिष्ठापक मुनि,तीर्थंकरों की समवशरण सभा में ऐसे मुनियों का समूह रहता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंडित – Pandita. A religious learned person, one having right spiritual faith. ञानी, जो पुरुष परमात्मा को शरीर से जुदा एवं केवलज्ञान से पूर्ण जानता है वही परम समाधि में तिष्ठता हुआ पंडित अर्थात् अन्तरात्मा है “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुनिमार्ग–Munimaarg. The prescribed auspicious path for saints. इसके दो भेद है; उत्सर्ग–शुद्धोपयोग रूपपरमवीतरागसयम हो, अपवाद जहा शुद्धोपयोग के बाहरी साधनों का व्यवहार हो या शुभोपयोग रूप सराग सयम हो”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वात्सल्य – Vaatsalya.: Affection,Tender feeling (an auspicious quality). साधर्मी के प्रति निःस्वार्थ प्रेमभाव रखना (सम्यग्दर्शन का एक अंग एवं सोलहकरण भावना की एक भावना )”