विशालकीर्ति!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशालकीर्ति – Vishalakirti. Name of a Bhattarak of Nandi.Group, A disciple of pandit Ashadhar. नंदिसंघ बलात्कारगण नागौर गद्दी के एक भट्टरक, समय – वि. स. १६०१, पं. आशाधरजी के प्रधान शिष्य में एक शिष्य “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशालकीर्ति – Vishalakirti. Name of a Bhattarak of Nandi.Group, A disciple of pandit Ashadhar. नंदिसंघ बलात्कारगण नागौर गद्दी के एक भट्टरक, समय – वि. स. १६०१, पं. आशाधरजी के प्रधान शिष्य में एक शिष्य “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शूर – Shoora. One conqueror of all passions & afflictions, Name of a country of Bharat Kshetra Arya Khand (region), The grand father of Lord Neminath. परिषहों, कषायों और काम, मोह आदि के विजेता शूर कहलाते हैं, भारतक्षेत्र आर्यखण्ड का देश, भगवान नेमिनाथ के बाबा “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूतज्ञायक शरीर – Bhutagyaka Sarir. Left body of most learned one (after death). कर्मस्वरूप की जाने वाला जिस शरीर को छोड़ आया है वह भुतज्ञायक शरीर है इसके च्युत, च्यावित, त्यक्त ३ भेद हैं “
चित्रलाचरण Variegated (unstable) conduct (having different types of nature). मन को जो प्रमादस्वरुप करे वह चित्तल एवं ऐसे चित्तल आचरण वाला चित्रलाचरण होता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भिमबाहू – Bhimabahu. The son of Dhratrashtra Gandhari. धृतराष्ट – गांधारी के दो पुत्रों में एक का नाम “
घोर ब्रह्मचर्य A supernatural power of having continuous celibacy. ऋद्धि-जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु सर्वगुणों से संपन्न होकर अखण्ड ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्त्रीकथा -Strikathaa. Passionate tale or romantic gossip.विकथा के 4 भेदो मे एक भेद। स्त्रियो की रागोत्पादक कथाओ को सुनना या करना अथवा कामीजनो द्वारा की जाने वाली स्त्रियो की संयोग-वियोग जनित विविध वचन रचना।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुख्य गणधर– Mukhya Gandhar. Head of the chief of disciples of Lord. तीर्थंकर के प्रधान शिष्य, जो दिव्यध्वनी का सार दवादवाशांगश्रुत के रूप में जगत को प्रदान कटे है”
चरणसार A book written by Acharya Padmanandi. चारित्रसार ; आचार्य पद्मनंदि (ई. श.. ११ उत्तरार्ध) कृत एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समाधितंत्र टीका – Samaadhitantra Teekaa. Name of a commentary book written by Acharya Prabhachandra. आचार्य प्रभाचन्द्र (ई. 950-1020) कृत संस्कृत टीका।