गारूडी विद्या!
गारूडी विद्या Knowledge which removes the venomous effect by incantation. सर्प के विष को दूर करने वाली विद्या।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गारूडी विद्या Knowledge which removes the venomous effect by incantation. सर्प के विष को दूर करने वाली विद्या।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यभिज्ञान- pratyabhijnana Recognition वह यही है इस प्रकार के स्मरण को प्रत्यभिज्ञान कहते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परंपरा बंध Continuity of binding of Karmas.ब्ंाध की निरन्तरता का नाम बंध परम्परा है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विवेक – Viveka. Prudence, Conscience, Judgement, Discretion. जिसमें राग हो ऐसे अन्न-पान आदि का त्याग करना दोषोंत्पाद्क द्रव्यादिकों का मन से अनादर करना, भले-बुरे का ज्ञान “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतीकार- pratikara Retaliation, retribution, revenge, counter action. प्रतिरोध या विरोध करना।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पन्नग:A type of super knowledge, A type of deities of Nagkumar kind. एक प्रकार की विद्या, नागकुमार जाति के देव।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == वीतरागी : == कामानुगृद्धिप्रभवं खलु दु:खं, सर्वस्व लोकस्य सदेवकस्य। यत् कायिकं मानसिकं च किंचित् , तस्यान्तकं गच्छति वीतराग:।। —समणसुत्त : ७६ सब जीवों का, और तो क्या देवताओं का भी जो कुछ कायिक और मानसिक दु:ख है, वह काम—भोगों की सतत अभिलाषा से उत्पन्न होता है। वीतरागी उस…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव प्राण – Bhava Prana. Psychical vitalities. सम्यग्दर्शन, ज्ञान व चारित को भाव प्राण कहा है ” अथवा आत्मा की जिस शक्ति से इंद्रिय आदि अपने कार्य में प्रवर्तन करें “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वस्थान अप्रमत्त – Svasthaana Apramatta. The first phase of the 7th spiritual stage of development-unstable stage of meditation. सतवे गुणस्थान के दो भेदो मे प्रथम भेद। जब तक चारित्रमोहनीय की 21 प्रकृतियो के उपषमन तथा क्षपण के कार्य का प्रारम्भ नही होता, किन्तु संज्वलन के मंदोदय के कारण प्रमाद भी नही होता, केवल सामान्य…
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == मुक्ति-मार्ग : == सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्ग:। —तत्त्वार्थ सूत्र : १-१ सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र—यही मोक्ष का मार्ग है।