प्रशध!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशध- अश्टमी, चतुर्दषी आदि पर्व के दिन उपवास अथवा एक बार भेजन करना। Prosadha- Fasting or one time eating
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशध- अश्टमी, चतुर्दषी आदि पर्व के दिन उपवास अथवा एक बार भेजन करना। Prosadha- Fasting or one time eating
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकलचारित्र – Sakalachaaritra. Conduct devoid of all attachments & possessions. समस्त प्रकार के परिग्रह से रहित होकर 5 महाव्रतों को धारण करना सकल चारित्र है, यह मुनियों के होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंध स्थान- बंध से जो स्थान निर्मित होता है बन्ध स्थान कहलाता है। Bandha Sthana- The place caused by binding of karmas
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == काल : == स्पर्शरसगन्धवर्णव्यतिरिक्तम् अगुरुलघुकसंयुक्तम्। वर्तनलक्षणकलितं कालस्वरूपम् इदं भवति।। —समणसुत्त : ६३७ स्पर्श, गन्ध, रस और रूप से रहित, अगुरु—लघु गुण से युक्त तथा वर्तना लक्षण वाला काल द्रव्य है। जीवानां पुद्गलानां भवन्ति परिवर्तनानि विविधानि। एतेषां पर्याया वर्तन्ते मुख्यकाल आधारे।। —समणसुत्त : ६३८ जीवों और पुद्गलों में नित्य होने…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रीतिंकर- कुरुवंष का एक राजा, ऊध्र्व ग्रैवेयक का विमान। Pritimkara- A king of kuru dynesti A heavenly abode of Urdhva graiveyak
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षड् रसी व्रत – Sadrasee Vrata. A particular & procedural vow (fasting) pertaining to renouncement of 6 kinds of particular delicacies. उत्कृष्ट 24 वर्ष, मध्यम 12 वर्ष व जघन्य 1 वर्ष में ज्येष्ठ कृ. 1 से ज्येष्ठ पूर्णिमा तक कृ. 1 को उपवास, 2-15 तक एकाशन, शु. 1 को उपवास, 2-15 तक एकाशन करना…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधनीय- बन्धयोग्य कर्म और नोकर्म स्कन्ध बन्धनीय कहलाते है। Bandhaniya- karmas causing for binding
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्गुण हानि वृद्धि – Satguna Haani Vriddhi. Finite or infinite increase & decrease in indivisible particles (of 6 kinds). अविभाग प्रतिच्छेदों में हानि वृद्धि का नाम ही षट्गुण हानि वृद्धि है ” ये 6-6 प्रकार की होती है ” (देखे- षड्गुण हानि वृद्धि) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] ष – Sa. The 31st consonant of the Devanagari syllabary. देवनागरी वर्णमाला का इकतीसवाँ व्यंजन अक्षर, इसका उच्चारण स्थान मूर्धा है “