प्रमाणनिर्माण!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाणनिर्माण- नामकर्म की प्रकृति; जिसके उदय से शरीर के अंगों की रचना यथास्थान तथा यथाप्रमाण हो। PramanaNirmana- A type of physique making Karma causing properly proportionate body
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाणनिर्माण- नामकर्म की प्रकृति; जिसके उदय से शरीर के अंगों की रचना यथास्थान तथा यथाप्रमाण हो। PramanaNirmana- A type of physique making Karma causing properly proportionate body
ईर्यापथ आस्रव A type of Karmic flow. जो कर्म वर्गणा मात्र योगों से आये कषाय का उदय न हो यह 11 वें, 12 वें व 13वें गुणस्थान में होता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्रायुध – Sahasraayudha. The son of Chakravarti (emperor) Vajrayudh. चक्रवर्ती वज्रायुध का पुत्र । मुनि पिहितास्रव से दीक्षा लेकर सन्यासमरण कर अधोग्रैवेयक में अहमिन्द्र हुआ ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रभाचंद्र- इस नाम के अनेकों आचार्य हुए है। Prabhacandra- Name of many acharyas
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुशुण्डी – Bhushundi. A weapon used in the time of Ravana. एक शस्त्र, इसका उपयोग रावण के काल में हुआ है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्रकीर्ति – Sahasarakeerti. Name of the preceptor of Nemichandra Bhattarak of Nandi group and a saint of Kashtha group. नंदिसंघ बलात्कारगण नागौर गद्दी के एक भट्टारक नेमिचन्द्र के गुरू, काष्ठासंघ पट्टावली के एक आचार्य त्रिभुवनकीर्ति के शिष्य ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रायोपगमन मरण- समाधिमरण का उत्कृश्ट रुप; ऐसा समाधिकरण करना जिसमें न तो आप अपना इलाज करें न दूसरे से करवें प्रत्युत् ध्यान में लीन रहें। Prayapagamana Marana- Faultless voluntary great and holy death
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लाटी संहिता – श्रावकाचार विशयक पडित राजमल्ल कृत ग्रथ इसमें सात सर्ग एवं 1400 ष्लोक हैं। Lati Samhita-Name of a treatise written by Pandit rajmalla
जिनसेन- आप आ0 भीमसेन के शिष्य तथा शांति सेन के गुरु थे समय ई.श. 7 अन्न । पुन्नाह संघ की मुर्वावली के अनुसार आप श्री कीर्तिषेण के शिष्य थे। कृति- हरिवंश पुराण वीरसेन स्वामी के शिष्य बागर्भ दिगम्बर। कृतिये-अपने गुरु की 20000 श्लोक प्रमाण अधुरी जयधवला टीका को 40000 श्लोक प्रमाण अपनी टीका द्वारा पूरा…