मृत्यु आशंका!
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृत्यु आशंका –Mratyu Aashanka. To wish for early death to severe pain (an infraction of holy death of a saint). मरणाशंसा– यह सल्लेखनाव्रत का दूसरा अतिचार है” पीड़ा से व्याकुल होकर शीघ्र मरने की इच्छा करना”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृत्यु आशंका –Mratyu Aashanka. To wish for early death to severe pain (an infraction of holy death of a saint). मरणाशंसा– यह सल्लेखनाव्रत का दूसरा अतिचार है” पीड़ा से व्याकुल होकर शीघ्र मरने की इच्छा करना”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थापना सत्य – Sthaapanaa Satya. Ritual installation of lord arihant in artifical in artifical idols.जो अर्हन्त आदि पंच परमेष्ठी की पाषाण या धातु आदि की प्रतिमा मे स्थापना की जाती है वह स्थापना सत्य है।
उपपादसभा Hall of genesis (origin) . कल्पवासी देवों के चैत्यालय में सुधर्मा सभा के ईशान दिशा में उपपाद सभा है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चरम Ultimate, final, A king of Hari descendant. अंतिम, हरिवंश का एक राजा ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिभुवनचंद्र An Acharya of Kashtha sangh. काष्ठा संघ के एक आचार्य । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
उपकार Beneficence, favour, Kindness. भला उपग्रह धर्म द्रव्य गतिरूप से तथा अधर्मद्रव्य स्थिति रूप से जीव और पुद्गल का उपकार करते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चूडामणि A commentary book written by Tumbulacharya, Crest jewel, A city in the north of Vijayardh mountain. तुम्बुलाचार्य द्वारा रचित कषाय – पाहड तथा षट्खन्डागम के आद्य ५ खण्डों पर कन्नड़ भाषा में ८४००० श्लोक प्रमाण एक टीका , सर का आभूषण , भरत चक्रवर्ती का चिंतामणि रत्न , विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्मेदशिखर महात्मय – Sammedashikhara Mahaatmya. A composition composed by Shrimad Yativar Devdatta. श्रीमद् यतिवर देवदत्त (श्री लोहाचार्य) द्वारा तीर्थराज सम्मेदशिखरजी की महत्ता पर संस्कृत मे रचित 21 अधिकारो मे निबद्व एक रचना।
चतुर्विंशतिसंधान काव्य A book written by Pandit Jagannath. ई. सन् १६४२ में पं . जगत्राथ द्वारा रचित एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्त्रीमुक्ति – Strimukti. Salvation of female jaina saints (which is not possible according to Digambar Jaina philosophy).स्त्री मुक्ति का आगम मे निषेध है। पुरुष, स्त्री एंव नपुंसक तीनो ही भाव लिंगो से मोक्ष सम्भव है लेकिन द्रव्य से केवल पुरुषवेद से ही मोक्ष होता है।