संयत!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयत – Sanyata. One with control & restraints, Another name of Digambar Jaina saint. महाव्रती श्रमण संयत कहलाता है ” संयत जीव छठे से चौदहवें गुणस्थान तक 9 गुणस्थानों में पाये जाते हैं ” दिगम्बर मुनि का अपरनाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयत – Sanyata. One with control & restraints, Another name of Digambar Jaina saint. महाव्रती श्रमण संयत कहलाता है ” संयत जीव छठे से चौदहवें गुणस्थान तक 9 गुणस्थानों में पाये जाते हैं ” दिगम्बर मुनि का अपरनाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सोमदत्त – Somadatta. Name of the 8th chief disciple of Lord Rishabhnath. Name of a particular person of Jaina History. तीर्थकर वृषभनाथ के 8 वें गणधर । एक सेठ जिन्होंने जिनदत्तसेठ से आकाशगामिनी वि़द्या को सिद्ध करने का उपाय सीखा, परन्तु अस्थिर चित्त के कारण सिद्ध न कर सके, उसको विद्युच्चर चोर ने सिद्ध…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भव्यकूट – Bhavyakuta. A type of stoop with rediant summits (in Samavasharan-assembly of Lord Arihant) समवशरण में दैदीप्यमान शिखरों से युक्त एक स्तूप एक जिसे भव्य जीव ही देख पाते हैं ” इसे अभव्य जीव नहीं देख पाते हैं क्योंकि स्तूप के प्रभाव से उनके नेत्र अंधे हो जाते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संमूर्च्छन – Sammoorchchhana. Spontaneous birth (formation of body organs or limbs by surrounding matter). जो जीव स्त्री-पुरुष के संयोग के बिना ही वातावरण में बिखरे हुए परमाणुओं के योग से उत्पन्न होते हैं वे संमूर्च्छन कहलाते हैं ” सभी प्रकार के पेड़-पौधे, शेष एक इन्द्रिय तथा दो इन्द्रियादि कीड़े-मकोड़े आदि “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुजंगम – Bhujangama. Name of the 14th Teerthankar (Jaina – Lord ) in Videh Kshetra (region). विदेह क्षेत्र में स्थित १४ वें तीर्थकर का नाम “
देवेन्द्रकीर्ति Name of Bhattaraks (of Nandisangh etc.) नन्दिसंघ सूरत शाखा के आद्य भट्टारक (ई. 1393-1442). कथाकोष आदि के रचयिता सांगानेर के भट्टारक (वि. 1640-1662)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूत्रदर्शनार्य – Sutra Darshanaarya. A type of noble persons. दर्शनार्य के 10 भेदो में एक भेद । मुनियों के दीक्षादि का वर्णन करने वाले आचारांग आदि आचार सूत्र को सुनकर जो सम्यग्दर्शन को प्राप्त होते हैं वे सूत्र दर्शनार्य है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पीठिका – Pithika. Preface, introductory part. भूमिका, प्रस्तावना “
देव ऋद्धि दर्शन A cause of attainment of right faith (perception). सम्यग्दर्शन की उत्पत्ति का एक कारण सौधर्मेन्द्रादिक देवों की महाऋद्धियों को देखकर सामान्य मिथ्यादृष्टि देवों में सम्यग्दर्शन की उत्पत्ति होती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूचीकर्म – Sucheekarma. Outlining of something or needlework. अनुयोग की निरूक्ति के 5 दृष्टांतो मे एक दृष्टांत । लकडी से किसी वस्तु को तैयार करने के लिये पहिले लकडी के निरूपयोगी भाग को निकालने के लिये उसके ऊपर एक रेखा में जो डोरा डाला जाता है, वह सूचीकर्म है।