पंचशिर!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचशिर – Panchashira. Ruling deity Nagendradev of Vajraprabh summit situated at Kundal mountain. कुंडल पर्वत पर स्थित वज्रप्रभकूट का स्वामी नागेन्द्रदेव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचशिर – Panchashira. Ruling deity Nagendradev of Vajraprabh summit situated at Kundal mountain. कुंडल पर्वत पर स्थित वज्रप्रभकूट का स्वामी नागेन्द्रदेव “
उपचारकथन Formal statement. व्यवहार कथन- ‘कर्म जीव के स्वभाव का पराभव करता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यति सम्मेलन– Yati Sammelan. Conference of saints. दिगम्बर जैन सभी साधुओ (चतुर्विधसंघो) का एक जगह एकत्रित होना, मिलना” प्रति पाँच वर्ष में युगप्रतिक्रमण के नाम से संघों के मिलने का आगम प्रमाण मिलता है” श्रीधरसेनाचार्य ए समय वेणाक नदी के तट पर ऐसा यतिसम्मेलन हुआ था जहा से दो मुनि शिष्यों को उन्होंने…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचमी व्रत – Panchami vrata. A particular type of vow (fasting). पांच वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद शु.5 को उपवास करना ” इसे आकाशपंचमीव्रत भी कहते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति सत्त्व योग्य – Prakrti Sattva yogya. Karmic nature capable of remaining in exist-ence. सत्ता योग्य कर्म प्रक्रतियां जो १४६ हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचनिद्रा – Panchanidraa. Five kinds of obscuring Karmas in gaining right perception. दर्शनावरणीय कर्म के 9 भेदों में 5 भेद; निद्रानिद्रा, प्रचला, प्रचलाप्रचला, स्त्यानगृद्धि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वस्तु – Vastu.: A typr of scriptural knowledge (Shrutgyan),Substance, Matter,Object. श्रुतज्ञान के बीस भेदों में 17वां भेद ” सत्ता,सत्व ,द्रव्य ,वस्तु आदि एकार्थवाची हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोगसंबंध – Sanyoga Sambandha. A synthetical relation. पृथक् सिद्ध पदार्थों के मेल को संयोग संबंध कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसंतभद्र व्रत – Vasantabhadra Vrata.: A specified and procedural fasting. एक व्रत ” इसमें क्रमशः 5,6,7,8,9 इस प्रकार 25 उपवास और बीच के स्थानों में एक – एक पारणा की जाती है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्षा ऋतु – Varshaa Ritu.: Rainy season. 6 ऋतुओं में एक ऋतु ; बरसात का समय इसमें साधु वर्षायोग या चातुर्मास धारण करते हैं “