पारियात्र!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारियात्र – Pariyatra. Northem part Vindhya country, Name of a mountain. विन्ध्य देश का उत्तरीय भाग, एक पर्वत “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारियात्र – Pariyatra. Northem part Vindhya country, Name of a mountain. विन्ध्य देश का उत्तरीय भाग, एक पर्वत “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसिद्धि – Sansiddhi. Completion of any work. किसी कार्य का निष्पन्न या पूर्ण होना ” सिद्ध, साधित, आराधित और संसिद्धि शब्द एकार्थवाची हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुमंगला – Sumamngalaa. Mother’s name of Lord Sumatinath & the 2nd Chakravarti sagar. तीर्थकर सुमतिनाथ की माता जो अयोध्या के राजा मेघप्रभ की रानी थी , दूसरे चक्रवर्ती सगर की जननी ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार – Para. End, limit. किनारा- जिनेन्द्र भगवान की भक्ति भव सागर से पार लगाती है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पाप श्रमण – Papa Sramana. A title for the secluded saint, cessation of sins. एकल विहारी साधु की उपाधि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लवणसागर – मध्यलोक का प्रथम सागर खारे जल वाला होने से इसका नाम लवणोदधि है। Lavanasagara- The first ocean of middle universe, containing salty water
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शरीर संघात – Shareera Sanghaata. Karmic association of body. उदय को प्राप्त जिन कर्म स्कंधों को छिद्र रहित संशलेष किया जाता है उन पुदगल स्कंधों की ‘शरीर संघात’ यह संज्ञा है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पानक- Panaka. Liquid edible materials. आहार का एक भेद – स्वच्छ (गर्म जल), बदल (इमली का पानी), लेवड , अलेवड, ससिक्थ, असिक्थ ये ६ पानक कहलाते हैं”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लब्धिसंवेग संम्पन्नता – तीर्थकर कर्मबंध का छठा कारण रत्नत्रय जनित हर्श का नाम लब्धिसंवेग है। Labdhisamvega Sampannata-A kind of super enjoyment pertaining to Tirthankar (Jaina-Lord)