पापमोचन!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पापमोचन – Papamocana. Liberation from sins. पापों से मुक्ति “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पापमोचन – Papamocana. Liberation from sins. पापों से मुक्ति “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पाघस्थितिकल्प – Padyasthitikalpa. To stay at one place only for 4 months in rainy season (reg. saint). वर्षा काल में चार मास तक एक ही स्थान पर रहना अर्थात् भ्रमण का त्याग करना, यह ‘पाघ’ नाम का १०वां स्थितिकल्प है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विमलसागर (आचार्य) – Vimalasagara (Acharya). Name of a famous Digamber Acharya of 20th century, the chief diaciple of Acharya Mahavirkiti. आचार्य श्री महावीरकीर्ति महाराज के प्रमुख शिष्य एवं एक प्रभावक आचार्य ” इनकी प्रेरणा से सम्मेदशिखर में समवसरण मंदिर, तीस चौबीस मंदिर आदि निर्माण हुए तथा अनेक तीर्थों पर नवनिर्माण के साथ…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पातक :Sin, offence, impurity caused due to the death of someone having blood relation.पाप, संबंधी के मरण के समय का अशैच या अपवित्रता। यह वंश परम्परा की पीढि़या के अनुसार 6 माह, 12 दिन, 10 दिन इत्यादि का माना जाता है। पातक के समय भगवान का अभिषेक-पूजन, शास्त्र स्वाध्याय, गुरुओ को आहारदान इत्यादि धार्मिक…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पाटला:Name of the initiation tree of Lord vasupujyanath.पद्यपुराण के अनुसार वासुपूज्यनाथ भगवान के दीक्षा वृक्ष का नाम (इसका नाम महापुराण के अनुसार कदम्ब है)।
तेईस वर्गणा 23 variforms or aggregates of karmic molecules. अणु वर्गणा, संख्याताणुवर्गणा, असंख्याताणुवर्गणा आदि 23 प्रकार की बर्गणाएं होती हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पांडुकंबला शिला:Name of a shila (very auspicious large stone at sameru mountain) pertaining to the lustral bath of Jaina Lord of weatern videk kshetra (region).सुमेरु पर्वत पर एक शिला, जिस पर पश्चिम विदेह के तीर्थकरो का जन्म कल्याणक संबंधी अभिषेक किया जाता हैं।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेरुपंक्ति व्रत–Merupankti Vrat. A particular type of fasting. 5 मेरु संभंधी 80 चैत्यालयो के व्रत इसमें 80 उपवास और 20 वन संभंधी 20 बेला किए जाते है”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बीजरुह – Bija Ruha. Vegetation produced by seeds (like rice ,wheat etc.). वनस्पति; जो बीज से ही उत्पन्न होती है ” जैसे – चावल, गेहूं आदि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परस्पराभाव:Mutual non-existence of matters.एक द्रव्य में दूसरे द्रव्य का अभाव होना।