पुरुषपुंडरीक!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुरुषपुंडरीक – Purusapumdarika. Name of the main listener in the Samavsharan of Lord Anantnath, Name of the 6th Narayan. भगवान अनन्तनाथ के समवसरण में मुख्य श्रोता का नाम, छठे नारायण का नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुरुषपुंडरीक – Purusapumdarika. Name of the main listener in the Samavsharan of Lord Anantnath, Name of the 6th Narayan. भगवान अनन्तनाथ के समवसरण में मुख्य श्रोता का नाम, छठे नारायण का नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रणिधान – Pranidhaana. Concentrating the mind on particular object. स्मरण की इच्छा से मन को एक स्थान में लगाने का ‘नाम’ प्रणिधान है ” परिणाम, प्रयोग व प्रणिधान ये एकार्थवाची शब्द है “
तेला व्रत Three days vow (fasting). एक दिन एकाशन के बाद तीन दिन का उपवास करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रच्छन्न – Prachchhanna. Hidden, concealed, an infraction of self-criticism-asking for the repentance of own fault indirectly. आच्छादित, छिपा हुआ, आलोचना का एक दोष; प्रच्छन्न रूप से किये गये पाप के प्रायश्चितका उपाय पूछना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मेश्वर – Brahmesvara. Name of the ruling demigod of Lord Shitalnath. शीतलनाथ भगवान का शासन यक्ष “
तीन- चैबीस व्रत A type of fasting to be observed for 3 years on a particular day. लगातार तीन वर्ष तक भाद्रपद कृ. 3 उपवास करना। अथवा तीन चैबीसी के 72 तीर्थकरों से संबंधित 72 व्रत करना। व्रत के दिन उन – उन तीर्थंकर के नाममंत्र का जाप्य करना । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तिर्यग्वणिज्या Livelihood by selling animals. पशुओं को बेचकर आजीविका चलाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == माया : == सच्चाण सहस्साण वि, माया एक्कावि णासेदि। —भगवती आराधना : १३८४ एक माया हजारों सत्यों का नाश कर डालती है। माया तैर्यग्योनस्य। —तत्त्वार्थ सूत्र : ६-२७ माया तिर्यंच योनि को देने वाली है। (तिर्यंच माया के कारण ही बांके होकर चलते हैं।)