संक्षेप सम्यत्तवार्य!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संक्षेप सम्यत्तवार्य – Sanksepa Samyaktvaarya. See – Sanksepa Darshanaarya. देखें – संक्षेप दर्शनार्य “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संक्षेप सम्यत्तवार्य – Sanksepa Samyaktvaarya. See – Sanksepa Darshanaarya. देखें – संक्षेप दर्शनार्य “
आद्यान्तमरण A type of death causing not repetition of the same binding & fruition of karmas in next birth. मरण का एक भेद-वर्तमान काल के मरण या प्राकृति आदि के समान पुनः आगामी काल में बंध उदय नहीं हो।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संक्षेप रुचि – Sanksepa Roochi. To have interest in understanding by summarized exposition. संक्षेप कथन से समझने की रुचि होना “
चतुःस्थानीय The actual fruition of the Karmic matters having strong or mild attributes. अनुभाग बंध ; प्रशस्त कर्म प्रकृतियों का गुड़ , खाण्ड , शक्रा और अमृत रूप एवं अप्रशास्ता कर्म प्रकृतियों का लाता , दारू , अस्थि , शैलरूप अनुभाग बंध चतुःस्थानीय कहलाता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिलोकव्याप्त One who is diffused in all three worlds. जो तीनों लोकों में व्याप्त है , लोकपूरण समुदघात, केवली भगवान के आत्मप्रदेशों का घनलोकप्रमाण सर्वलोक में फैल जाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संकलन – Sankalana. Compilation, Integration. जमा करना, परस्पर राशियों को जोड़ना “
दासीदास प्रमाणातिक्रम An infraction of possessional limitation of keeping servents.परिग्रह परिमाणव्रत का एक अतिचार, दास दासी के लिए हुए प्रमाण का उल्ंलघन करना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षष्ठ भक्त – Sastha Bhakta. A particular & procedural vow (fasting) to be observed for two days. दो उपवास की चार भुक्ति एवं एक दिन पूर्व व एक दिन बाद की एक-एक भुक्तियाँ, इस प्रकार कुल 6 भुक्तियों का त्याग षष्ठ भक्त कहलाता है, इसी को षष्ठ बेला भी कहते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंध योग्य प्रकृति- 8 कर्मो की 120 कर्म प्रकृतियां बंध योग्य कहलाती है। Bandha Yogya Prakrti- Karmic nature causing binding