परहित!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] Beneficence to other, well- being of others. दूसरो का हित करना व चाहना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] Beneficence to other, well- being of others. दूसरो का हित करना व चाहना।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यथालब्ध–Yathalabdh. Whatever available (an adjective word). जो भी उपलब्ध हो (यह एक विशेषण रूप शब्द है जो व्यापार, ज्ञान आदि में जितना उपलब्ध हो उसमें संतोष करना रूप से घटित होता है” यह साधुओ के आहार संबंधी विषय में भी घटित होता है”)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निराभरण – Niraabharana. Compeletely freeness from all ornament (a characteristic of Jina-Lord idol). आभूषण से रहितता जिनप्रतिमाओं का एक लक्षण, जो राग अभाव का एक सूचक है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पदमध्वज: Auspicious flags in the samavasharan-assembly of Lord, Name of predestined Kulkar (ethical founder). स्मवशरण से संबंधित कमलांकित ध्वजाएं, भविष्य कालीन 14 वें कुलकर ।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूर्च्छन–Murchchhan. A type of birth by spontaneous generation. तीन लोको के ऊपर, नीचे और तिरछे देह का चारो ओर सेग्रहण होना अर्थात चारो ओर से पुद्गलो का ग्रहण करके अवयवो की रचना होना, इसी को संमूर्च्छन जन्म कहते है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुवल्गु – Suvalgu Name of a region of western Videh. Name of a summit of Naggiri Vakshar (mountain) & its governing deity. अपर विदेहस्थ एक क्षेत्र (अपरनाम सुगन्धा ) । नागगिरि वक्षार का एक कूट व उसका स्वामी देव ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरर्थखण्डन – Nirarthakhandana. Rejoinder or refutation on the ground of meaningless. अर्थ-प्रयोजन रहित खंडन “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == निर्वाण : == जाइ—जर—मरणरहियं परमं कम्मट्ठवज्जियं सुद्धं। णाणाइचउसहावं अक्खयमविणासमच्छेयं।। —नियमसार : १७७ निर्वाण की स्थिति जन्म, जरा व मरण से रहित होती है। वह आठ कर्मों से रहित, उत्कृष्ट एवं शुद्ध है। वह अनंत दर्शन, अनंत ज्ञान, अनंत सुख व अनंत वीर्य—इन चार आत्मिक स्वभावों से युक्त है,…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकसेन –Lokasena.: Name of the disciple of Achrya Gunbhadra. पंचस्तूप संघ की गुर्वावली के अनुसार आचार्य गुणभद्र के प्रमुख शिष्य ” आचार्य गुणभद्र रचित अधूरे उत्तरपूराण को पूर्ण किया ” समय –ई. 897-930 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरंतरबंधी प्रकृति – Nirantarabandhi Prakrti. Constant Karmic nature (reg. binding). जो प्रकृतियां अंतर्मुहूर्त आदि काल तक निरंतर रूप से बंधती है “