मतार्थ!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मतार्थ – Matarth. A method of the exposition of right scriptures (Agam) by refuting the contradictory principles. आगम का अर्थ करने की 5 विधियों में एक विधि ; अन्यमत का निराकरण करते हुए अर्थ निकलना “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मतार्थ – Matarth. A method of the exposition of right scriptures (Agam) by refuting the contradictory principles. आगम का अर्थ करने की 5 विधियों में एक विधि ; अन्यमत का निराकरण करते हुए अर्थ निकलना “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मजीरा – Majira. Cymbals; an auspicious article kept near the idol of Lord Jinendra. जिनेन्द्र भगवान के पास सुशोभित दिव्य 108 उपकरणों में एक – झांझ, मंजीरा “
उदयस्थान Place of origination, fruition (reg. Karmas). अपने फल के उत्पन्न करने में समर्थ कर्म अवस्था।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
घोर पराक्रम A type of supernatural power of having omnipotent like power of making dry to the water of an ocean etc. जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु अनुपम तप करते हुए तीन लोक के संघारी की शक्ति से संपन्न और सहसा समुद्र के जल सुखा देने की सामर्थ्य से युक्त होते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सभाभवन – Sabhaabhavana. Assembly hall, Auditorium. कक्ष जिसमे सभा आयोजित की जाती है, व्यंतर आदि देवो के चैत्यालयो मे सभा मण्डप।
गोचरी वृत्ति Procedure of food taking of Jaina saints. जैनसाधु की आहारचर्या को गोचरी वृत्ति कहते हैं क्क्योंकी गाय की भाँती वह दतार के प्रति निस्पृह रहते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृषध्वज–Vrsadhvaja. One of the 1008 titles of Lord Jinendra जिनेन्द्र भगवन के १००८ नामों में एक नाम , धर्मध्वज को फहराने वाले “
घाट Name of the 5th Indrak or Patal (layer) of Sharkara Prabha earth, Bank of a river. शर्कराप्रबाह पृथिवी के ५वें इन्द्रक का पटल का नाम , नदी का किनारा ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिसारी ऋद्धि- pratisari Rddhi A type of super natural power (reg. cognition of knowledge) ऋद्धि; जिसके प्रभाव से गुरु के उपदेष से आदि, मध्य अथवा अन्त में एक बीजपद को ग्रहण करके अधस्तन ग्रन्थ को जानना।