गणिनी आर्यिका ब्राह्मी-सुन्दरी आदि ब्रह्मा तीर्थंकर ऋषभदेव के दो रानियाँ थीं-यशस्वती और सुनन्दा। बड़ी रानी यशस्वती ने भरत, वृषभसेन आदि सौ पुत्रों को जन्म दिया, पश्चात् एक कन्या को जन्म दिया जिसका नाम ब्राह्मी रक्खा गया। सुनन्दा के कामदेव बाहुबली पुत्र हुए और एक कन्या हुई जिसका नाम सुन्दरी रक्खा गया। ये दोनों कन्यायें अपनी…
आचार्य श्री शान्तिसागर महाराज के उपदेश के कतिपय अंश आचार्य शान्तिसागर जी ने ३६ दिन की सल्लेखना ग्रहण की थी। सल्लेखना के २६वें उपवास के दिन उन्होंने यह सन्देश दिया था, कि अपने जीवन में संयम धारण करो इसे मत। समाधि के समय उनकी उम्र ८४ वर्ष की थी। उनकी समाधि कुन्थल गिरी पर ६…
गणिनी आर्यिका राजीमती २२वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ के गर्भ में आने के छह माह पूर्व ही कुबेर ने शौरीपुर के राजा समुद्रविजय की रानी शिवादेवी के आँगन में रत्नों की वर्षा करना शुरु कर दिया। कार्तिक शुक्ला षष्ठी के दिन अहमिन्द्र का जीव जयन्त विमान से च्युत होकर शिवादेवी के गर्भ में आ गया। उसी…
आचार्य श्रीजयसेन स्वामी परिचय श्री कुंदकुंददेव के समयसार आदि ग्रंथों के द्वितीय टीकाकार श्री जयसेनाचार्य भी एक प्रसिद्ध आचार्य हैं। इन्होंने समयसार की टीका में श्री अमृतचन्द्रसूरि के नाम का भी उल्लेख किया है और उनकी टीका के कई एक कलशकाव्यों को भी यथास्थान उद्धृकृत किया है अत: यह पूर्णतया निश्चित है कि श्री जयसेनाचार्य…