पंचपरमेष्ठी ध्यान के विषय हैं
पंचपरमेष्ठी ध्यान के विषय हैं अर्हंत परमेष्ठी जिन घाति चतुष्टय कर्म हरा, दर्शन सुख ज्ञान वीर्यमय हैं।सु अनंतचतुष्टयरूप परम, औदारिक तनु में स्थित हैं।।अष्टादश दोष रहित आत्मा, वे ही अरिहंत परमगुरु हैं।वे ध्यान योग्य हैं नित उनको, तुम ध्यावो वे त्रिभुवनगुरु हैं।।५०।। जिन्होंने चार घातिया कर्मों का नाश कर दिया है, जो अनंत चतुष्टयमय हैं,…