उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म!
उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म आर्यिका १०५ ज्ञेयश्री माताजी ब्रम्हचर्य का फल आज हम ब्रह्मचर्य के स्वरूप पर विचार करेंगे। जो व्यक्ति आजीवन समय के लिए ब्रह्मचर्य को धारण करता है उसने जान लिया है ईश्वर कोई नहीं है हम ही ईश्वर है हमारे अन्दर ही ईश्वर है। ब्रह्मचर्य के अनेक अर्थ हैं: प्रणव(जो मनुष्य को सदैव…