विकारों से मुक्ति का पर्व!
विकारों से मुक्ति का पर्व प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाश जैन शास्त्री,फिरोजाबाद, सुख कहीं बाहर नहीं, हमारी आत्मा में ही है। अज्ञानी उसे व्यर्थ ही बाहर (मन्दिर—मस्जिद—मठ अथवा पन्थ—महन्त आदि में) खोजता फिरता है। सन्त कबीर ने कहा — ‘‘ज्यों तिल माहीं तेल है, ज्यों चकमक में आग। तेरा साई तूझमें , जाग सके तो जाग ।।’’ यह…