भगवान महावीर कैसे बने” परीक्षा : सही उत्तर एवं परीक्षाफल
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(पूजा नं.17) अचलमेरु सम्बंधि धातकी वृक्ष शाल्मली वृक्ष जिनालय पूजा —अथ स्थापना—हरिगीतिका छंद— (चाल—सम्मेदगढ़ गिरनार….) वरद्वीप धातकि में अपरदिश, बीच सुरगिरि अचल है। ताके विदिश ईशान में, शुभ धातकी द्रुम अतुल है।। सुरगिरी के नैऋत्य शाश्वत, शाल्मली द्रुम सोहना। द्वय वृक्ष शाखा पर जिनालय, पूजहूँ मन मोहना ।।१।। ॐ ह्रीं श्रीअचलमेरुसंबंधिधातकीशाल्मलीद्वयवृक्षस्थितजिनालयस्थ-जिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं।…
अयोध्या में आर्यिका दीक्षाएँ : एक ऐतिहासिक अवसर -डॉ. जीवन प्रकाश जैन (सम्पादक सम्यग्ज्ञान मासिक पत्रिका) बंधुओं! शाश्वत तीर्थंकर जन्मभूमि अयोध्या में आर्यिका दीक्षाएँ होने जा रही हैं, इस बात की खबर पूरे देश में बड़े त्वरित अंदाज में घर-घर तक पहुँची है। यह अवसर ही ऐसा है कि एक तरफ हमारे जैनधर्म की…
समाधि द्वारा-आर्यिका सुद्रष्टिमति माताजी प्र. ९२० : मृत्यु के चार द्वार कौनसे हैं? उत्तर : अनुचित कार्यों का प्रारम्भ करना यह मृत्यु का पहला द्वार है। ऐसा कार्य करना ही क्यों जिससे आपदायें स्वयं ही घर बनाकर बैठ जायें। अतः जो काम समाज व धर्म के विरोधी होते हैं, उन्हें करना ही नहीं चाहिये। मृत्यु…
तीर्थयात्रा प्र. ५७६ : यात्राओं का जीवन में क्या महत्व है? उत्तर : यात्राओं की जीवन में महती आवश्यकता है। तीर्थों के नाम से अंतरंग सुप्त प्रमाद सिंह गर्जना करता हुआ भाग खड़ा होता है। वीरत्व की ज्योति जागती है, उत्साह के सुमन खिलने लगते हैं। प्रयाण करते ही आनंदधारा छलछलाती-उछलती हुई प्रवाहित होने लगती…
तीर्थयात्रा प्र. ५७६ : यात्राओं का जीवन में क्या महत्व है? उत्तर : यात्राओं की जीवन में महती आवश्यकता है। तीर्थों के नाम से अंतरंग सुप्त प्रमाद सिंह गर्जना
संस्कृत व्याकरण क्लास(आर्यिका चंदनामति माताजी द्वारा) जो आप पढ़ चुके हैं पहले उनको पुनः पढने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें………………… https://www.youtube.com/channel/UCVc-t_6ZV0MZA8tcoiYA4ZA https://www.youtube.com/channel/UCVc-t_6ZV0MZA8tcoiYA4ZA