सरस्वती स्तोत्र ( संस्कृत ) चन्द्रार्क कोटिघटितोज्ज्वल-दिव्य-मूर्ते! श्रीचन्द्रिका-कलित-निर्मल-शुभ्रवस्त्रे! कामार्थ-दायि-कलहंस-समाधिरूढे । वागीश्वरि ! प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ! ।।१।। देवा-सुरेन्द्र-नतमौलिमणि-प्ररोचि, श्रीमंजरी-निविड-रंजित-पादपद्मे ! नीलालके ! प्रमदहस्ति-समानयाने! वागीश्वरि ! प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ! ।।२।। केयूरहार-मणिकुण्डल-मुद्रिकाद्यैः, सर्वाङ्गभूषण-नरेन्द्र-मुनीन्द्र-वंद्ये ! नानासुरत्न-वर-निर्मल-मौलियुक्ते ! वागीश्वरि ! प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ! ।।३।। मंजीरकोत्कनककंकणकिंकणीनां, कांच्याश्च झंकृत-रवेण विराजमाने ! सद्धर्म-वारिनिधि-संतति-वर्धमाने ! वागीश्वरि !…
सरस्वती स्तोत्र (हिन्दी) शंभु छंद पद्यानुवाद – पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी श्रुतदेवी बारह अंगों से, निर्मित जिनवाणी मानी हैं। सम्यग्दर्शन है तिलक किया, चारित्र वस्त्र परिधानी हैं।। चौदह पूर्वों के आभरणों से, सुंदर सरस्वती माता। इस विध से द्वादशांग कल्पित, जिनवाणी सरस्वती माता।।१।। श्रुत ‘आचारांग’ कहा मस्तक, मुख ‘सूत्रकृतांग’ सरस्वति का। ग्रीवा…
श्री सरस्वती स्तोत्र भाषा कोटि सूरज चन्द्रमा सम विशद जिसकी मूर्ति है। चंद्रिकासम वस्त्र निर्मल धारती सङ्कीर्ति है।। कामना सब सिद्ध करती हंस पर आरूढ़ है। वागीश्वरी रक्षा करो नित भक्ति भाव प्रारूढ है।।१।। नमती सुरासुर मौलिमाला जटिल मणिगण क्रांति से। जिसके चरणरज अतिसुशोभित दीखते संदीप्ति से।। मत्तगजसम चाल जिसकी केश नीले धारती। वागीश्वरी…
महादेवी पद्मावती प्रशंसा (पं. आशाधर सूरि विरचित) प्रस्तुति – आचार्य श्री विद्यानन्दि मुनि महाराज जय मंगलं जयतु शुभमंगलम्। जय नागपतियुवति पद्मांबिके।।१।। जय हो मंगल हो, शुभ मंगल हो। नागराज की रानी, माता पद्मावती की जय हो। मणिमुकुटरत्न कुण्डल-हारराजिते। मणिखचित-केयूर-करभूषिते।।२।। जय मंगलं जयतु शुभमंगलम्।। पल्लव।। मणि, मुकुटरत्न, कुण्डल तथा हार से सुशोभित मणियों से…
श्री पद्मावती स्तोत्र (भाषा) (श्रृंगार करते समय यह स्तोत्र पढ़ें) जिन शासनी हँसासनी पद्मावती माता। भुज चार से फल चार दे, पद्मावती माता।। टेक.।। जब पार्श्वनाथ जी ने शुक्ल ध्यान आरम्भा । कमठेश ने उपसर्ग तब, किया था अचम्भा ।। निज नाथ सहित, आपके सहाय किया है। जिन नाथ को निज माथ पै चढ़ाय लिया…