गुप्तकालीन जैन मूर्तिकला
प्रतिष्ठाचार्यों के लिए संक्षिप्त निर्देशन -गणिनी ज्ञानमती (१) प्रतिष्ठाग्रंथ एक किन्हीं का विरचित ही लेना चाहिए। संकलित-वर्तमान साधु या विद्वानों का संकलित न हो। प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज की परम्परा में एवं अंकलीकर आचार्यों की परम्परा में भी तथा दक्षिण में भी सर्वमान्य प्रमाणीक ‘प्रतिष्ठातिलक ग्रंथ’ सर्वांगीण है। उसी से प्रतिष्ठा विधि कराना चाहिए।…
कच्ची मिट्टी को सही आकार दें बच्चों के स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश होने वाले हैं। स्कूलों में छुट्टियां होते ही बच्चों की धमाल—चौकड़ी शुरु हो जाती हैं और माँ—बाप, विशेषकर माँ होती है परेशान। फिर शुरू होती है कोर्सेस, क्लासों की जानकारी एकत्रित करने का काम ताकि बच्चों को उनमें प्रवेश दिलाकर व्यस्त रखा जा…
श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, बहलना (उ.प्र.) वीरेन्द्र कुमार जैन, सलावाअतिशय क्षेत्र बहलना एक सुन्दर क्षेत्र है जहाँ प्रवेश करते ही असीम शांति का अनुभव होता है। बहलना अतिशय क्षेत्र दिल्ली-हरिद्वार राष्ट्रीय मार्ग पर मुजफ्फरनगर बहलना चौक से पश्चिम की ओर ५ किमी. की दूरी पर स्थित है। हस्तिनापुर तीर्थक्षेत्र से यह लगभग ६०…
मिथ्यात्व, व्यसन, पाप, कषाय विषय परिचय—जिनेन्द्र प्रभु की वाणी को धारण करने के पूर्व मिथ्यात्व, व्यसन, पाप एवं कषायों का स्वरूप समझकर उनका त्याग करना आवश्यक है। इस पाठ में इन्हीं चारों के भेद, उपभेद, हानि आदि का सविस्तार विवेचन २८ प्रश्नोत्तरों में किया गया है। मिथ्यात्व प्रश्न १. मिथ्यात्व किसे कहते हैं ? उत्तर—विपरीत—खोटी…
जम्बूद्वीप जम्बूद्वीप के मध्य में एक लाख योजन ऊँचा तथा दस हजार योजन विस्तार वाला सुमेरु पर्वत है। इस जम्बूद्वीप में छह कुलाचल एवं सात क्षेत्र हैं। ६ कुलाचलों के नाम-हिमवान्, महाहिमवान्, निषध, नील, रुक्मि और शिखरी। ७ क्षेत्रों के नाम-भरत, हैमवत, हरि, विदेह, रम्यक्, हैरण्यवत और ऐरावत। क्षेत्र एवं पर्वतों का प्रमाण-भरतक्षेत्र का विस्तार…
गाथाओं में पाठ भेद समयसार ग्रंथ में कहीं-कहीं गाथा में पाठ भेद-अन्तर होने से टीकाकार आचार्यों ने दोनों पाठ रखकर दोनों के अर्थ कर दिए हैं। किसी एक पाठ को प्रमाण और दूसरे को अप्रमाण नहीं माना है। उदाहरण में देखिए— (१) वंदित्तु सव्वसिद्धे धुवमचलमणोवमं गइं पत्ते।वोच्छामि समयपाहुडमिणमो सुयकेवलीभणियं।।१।। समयसार, पूर्वार्ध, पृ. ८ से १४।…