ब्रह्मचर्य अणुव्रत की कहानी ब्रह्मचर्याणुव्रत-अपनी विवाहित स्त्री के सिवाय अन्य स्त्री के साथ काम सेवन नहीं करना, ब्रह्मचर्य अणुव्रत अथवा शीलव्रत कहलाता है। यह व्रत सभी व्रतों में अधिक महिमाशाली है। इसके पालन करने वाले को मनुष्य तो क्या देवता भी नमस्कार करते हैं। -मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र की पत्नी सीता वनवास के समय पतिसेवा…
राजगृह दुर्ग का जैन पुरातत्व: एक सर्वेक्षण उमेश कुमार सिंह प्रवक्ता प्राचीन इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग, उदय प्रताप स्वायत्तशासी कॉलेज, वाराणसी। सारांश राजगृह (राजगिरि) की पंच पहाड़ियों की प्राकृति स्थिति में दुर्ग का रूप दे दिया है। इस प्राकृतिक दुर्ग की पंच पहाडियों पर स्थित जैन पुरातात्विक अवशेषों, जिन प्रतिमाओं का विस्तृत सर्वेक्षण प्रस्तुत…
षट् आवश्यक क्रिया जिनको अवश्य ही करना होता है, वे आवश्यक क्रियाएँ कहलाती हैं। उनके छ: भेद हैं-देवपूजा, गुरुपास्ति, स्वाध्याय, संयम, तप और दान। १. देवपूजा – जिनेन्द्र भगवान के चरणों की पूजा संपूर्ण दु:खों का नाश करने वाली है और सभी मनोरथों को सफल करने वाली है अत: श्रावक को प्रतिदिन देवपूजा अवश्य करनी…
यज्ञोपवीत आवश्यक है भगवान के अभिषेक, पूजा व साधु के आहार दान में यज्ञोपवीत धारण करना आवश्यक है खान में से निकला हुआ सोना तब तक रूप रंग में सुन्दर नहीं बन पाता, जब तक कि उसका विधिपूर्वक अग्नि से तपाकर संस्कार नहीं हो जाता। अग्नि के अनेक तापों से तपकर ही सुवर्ण मूल्यवान बना…
श्रावकों को ‘पुरुषार्थ देशना’ की उपयोगिता जैनदर्शन, संसार—सृजन व संचालन में किसी एक सर्वशक्ति संपन्न संचालक की सत्ता स्वीकार नहीं करता। अपितु कुछ ऐसे समवाय या तत्त्व हैं, जिनके योग से यह जगत स्वत: संचालित है। वे तत्त्व हैं—काल, स्वभाव, नियति, पुरुषार्थ और कर्म। उक्त पाँच समवायों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण—पुरुषार्थ है। पुरुषार्थ—व्यक्ति को लक्ष्य तक…
सिन्धु घाटी सभ्यता: एक मूक विरासत सारांश मोहन— जो—दारो सभ्यता से पूर्ववर्ती सेंधव लिपि के वाचन एवं उद्घाटन के प्रयास अद्यतन सफल नहीं हो सकते हैं। इसका प्रमुख कारण योरोपीय विद्वानों की श्रमण संस्कृति के प्रतिमानों एवं प्रतीकों से अनभिज्ञता एवं कतिपय भारतीय विद्वानों का पूर्वाग्रह रहा है। वैदिक परम्परा के प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद में…
सरस्वती की मूर्ति वंदनीय हैं या नहीं सरस्वती की मूर्ति वंदनीय हैं या नहीं (गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी से एक विशेष वार्ता) चन्दनामती– पूज्य माताजी! वंदामि, आज मैं आपसे सरस्वती-जिनवाणी माता की पूजा, स्तुति से संबंधित कुछ प्रश्न करना चाहती हूँ। श्री ज्ञानमती माताजी– पूछो, जो पूछना है। चन्दनामती – कई जगह मंदिरों में सरस्वती…