सर्दी में रोगों से बचाव के उपाय जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनके विचार से धूम्रपान करने से ठंड नहीं लगती, इसी कारण वे सर्दी में अधिक धूम्रपान करते हैं जिससे धुआं फैफड़ों व सांस की नली को क्षति पहुंचाता है व खांसी का रोग उस व्यक्ति को बुरी तरह जकड़ लेता है। सर्दी में…
जैनाचार्यों की गौरवगाथा (१२४) श्री महेन्द्रसेन—काष्ठासंघ नंदीतटगच्छ के आचार्यों में श्री विजयकीर्ति आचार्य हुए हैं। विजयकीर्ति के शिष्य श्री महेन्द्रसेन हुए हैं। आपका समय १८ वीं शती का प्रथमपाद है। आपकी दो रचनाएँ उपलब्ध हैं—सीताहरण, बारहमासा। (१२५) सुरेन्द्रभूषण—आप देवेन्द्रकीर्ति भट्टारक के शिष्य थे। आपने अटेर शाखा में सम्वत् १७६० में सम्यग्ज्ञान यंत्र, १७७२ में सम्यग्दर्शन…
[[श्रेणी:सूक्तियां]] ==परमागम के अनमोल मोती,दर्शनपाहुड== अरूपी आत्मा का त्रैकालिक अन्यवी मूल गुणधर्म, निवकल्प दर्शन (दर्शनोपयोग) है। मूलरूप से सम्यग्दर्शन से भ्रष्ट (पतित) होते हैं, क्योंकि चक्षुदर्शन अचक्षुदर्शन रूप दर्शनोपयोग से ही चक्षु आदि इन्द्रियों एवं मन के निर्मित से पदार्थ ज्ञान होता है। पदार्थों को देखकर तथा पदार्थों के गुणों को जानकर पुरुष रागममत्व से…
[[श्रेणी:सूक्तियां]] ==श्रेष्ठ सूक्तियाँ== (१) निंदा उनकी होती है जो दूसरों की प्रशंसा नहीं करते। (२) शृंगार शील (चरित्र) पालने से होता है, बाहरी बनावट से नहीं। (३) जो दूसरों पर निर्भर रहता है वह सबसे बड़ा कायर और भिखारी हैं। (४) बड़े लोग अहंकार नहीं करते और अहंकारी कभी बड़े नहीं हो सकते। (५) सजा…
प्रथमानुयोग में क्या है ? -गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी प्रथमानुयोगमर्थाख्यानं चरितं पुराणमपि पुण्यम्। बोधिसमाधिनिधानं बोधति बोधः समीचीनः।।१।। अर्थ– जो शास्त्र परमार्थ के विषयभूत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पुरुषार्थ का कथन करने वाला है, एक पुरुष के आश्रित कथा को, त्रेसठ शलाका पुरुषों के चरित्र को तथा पुण्य के आस्रव करने वाली कथाओं को कहता…
आईना कृत्रिम मांसपेशियों से बना अंत:वस्त्र कैनबेरा। आस्ट्रेलियाई अध्ययनकर्ताओं ने एक नई तरह का अंत: वस्त्र तैयार किया है। इसे कृत्रिम मांसपेशियों से तैयार किया गया है। वोलोंगगोंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि इसे पहनने के बाद महिलाओं को सुन्नपन, नसों में दबाव और पीठ के दर्द की शिकायत नहीं रहेगी। पालतु कुत्तों…
मौन रहने के गुण अनावश्यक बोलने से अच्छा मौन रहना अच्छा है। असत्य बोलने से बचोगे। किसी से बैर नहीं होगा। किसी की निन्दा नहीं होगी। शांति भंग नहीं होगी। किसी से क्षमा नहीं मांगना पड़ेगी।
घरेलू उपचार शैया मूत्र १- इमली के बीज १० ग्राम प्रात: पानी में भिगो दें। रात को छिलका उतारकर खारकर ऊपर से गाय का दूध पीने से लाभ मिलता है। यह मात्रा बड़ों की है। किशोरों को इसकी आधी मात्रा दें तथा बच्चों को इसकी चौथाई मात्रा ही दें। २- १ चम्मच चिरौंजी सोते…