105. सचित्त पूजा निर्दोष है
सचित्त पूजा निर्दोष है माल्यगंधप्रधूपाद्यै:, सचित्तै: कोऽर्चयेज्जिनम्। सावद्यसंभवं वक्ति य:, स एवं प्रबोध्यते।।१४०।। जिनार्चानेकजन्मोत्थं, किल्विषं हंति यत्कृतम्। सा किंचिद् यजनाचारभवं सावद्यमंगिनाम्।।१४१।। अर्थ- कोई कोई लोग यह कहते हैं कि पुष्पमाला, धूप, दीप, जल, फल आदि सचित्त पदार्थों से भगवान की पूजा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि सचित्त पदार्थों से पूजा करने में सावद्य जन्य पाप (सचित्त…