निर्माल्य-ग्रहण पाप है!
निर्माल्य-ग्रहण पाप है देव, शास्त्र और गुरु के निमित्त जिस द्रव्य से स्व—स्वामीपना निकल गया है, उसे निर्माल्य द्रव्य कहते हैं। इसके स्थूल रूप से दो भेद हैं— (१) जो द्रव्य देव, शास्त्र, गुरु एवं अन्य किसी प्रकार के धर्मादा के लिए संकल्पित कर दिया गया है अथवा दे दिया गया है, वह निर्माल्य द्रव्य…