सल्लेखना!
सल्लेखना लेखक :—परम पूज्य १०८ आचार्यकल्प श्री श्रुतसागरजी महाराज ( समाधिस्थ ) सल्लेखना के विषय में मुख्यत: निम्नांकित पाँच बातों पर विचार किया जाता है—सल्लेखना का क्या स्वरूप है ? उसे कब और क्यों धारण करना चाहिये तथा सल्लेखना का कितना काल है? और इसके धारण करने से क्या लाभ है ? १. सल्लेखना का…