देवगढ़ के मूर्तिशिल्प में जिनेतर जैन देवकुल का विकास
देवगढ़ के मूर्तिशिल्प में जिनेतर जैन देवकुल का विकास आठवीं से बारहवीं शती के मध्य उत्तर भारत के राजनीतिक मंच पर विभिन्न राजवंशों का उदय हुआ, जिनके सीमित राज्यों में विभिन्न आर्थिक, धार्मिक संदर्भों में जैन धर्म, कला—स्थापत्य एवं मूर्तियों के विकास की क्षेत्रीय धारायें उद्भूत एवं विकसित हुईं। इनसे कला केन्द्रों का मानचित्र पर्याप्त…