23. अतिथिसंविभाग या वैयावृत्य
अतिथिसंविभाग या वैयावृत्य वैयावृत्य के भेदों का वर्णन करते हुए श्री समंतभद्रस्वामी कहते हैं- आहारौषधियोरप्युपकरणावासयोश्च दानेन। वैयावृत्यं यावानुपग्रहोन्योऽपि संयमिनां।। -हिन्दी अनुवाद- आहारदान औषधीदान, उपकरणदान आवासदान। वैयावृत्ती के चार भेद, से कहलाते ये चार दान।। प्रासुक भोजन औषधियों से, श्रावकजन मुनि को स्वस्थ करें। पिच्छी शास्त्रादिक दे उनको, वसती दे निज को धन्य करें।।११७।। आहारदान, औषधिदान,…