आचार्य वीरसागर स्मृति ग्रंथ के आलेख जैन गणितज्ञ-महावीराचार्य अनुपम जैन’ सुरेशचन्द्र अग्रवाल’ मात्र भारतीय ही नहीं अपितु विश्व गणित इतिहास में आपकी विशिष्ट कीर्ति आपकी बहुश्रुत कृति गणितसार—संग्रह के कारण है। ज्योतिष के प्रभाव से पूर्णत: मुक्त पाठ्य—पुस्तक की शैली में निबद्ध इस कृति का प्रणयन मान्यखेट (वर्तमान कर्नाटक राज्य एवं उसका समीपवर्ती क्षेत्र) के…
गर्व से कहें हम जैन हैं यह सही है कि अन्य जाने माने अल्पसंख्यक , समाजों की तुलना में जैन समाज शिक्षा , सम्पन्नता, उद्योग, तकनीक चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में अग्रणी है। हम देश की कुल टैक्स आय का २७% शिक्षा में ९५.९७% उद्योग धन्धों में २०% अंशदान करते है। किंतु जैन समाज का…
सोलहकारण पर्व प्रतिवर्ष सोलहकारण पर्व भाद्रपद कृष्णा प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर आश्विन कृष्णा प्रतिपदा तक मनाया जाता है। सामान्यत: यह पर्व ३१ दिन का होता है। इस पर्व में सोलहकारण भावनाओं का चिन्तन किया जाता है। शास्त्रों में १६ भावनायें कही गई हैं। इन भावनाओं से तीर्थंकर नामकर्म प्रकृति का बंध होता है। इस कर्मप्रकृति…
गृह क्लेश के उपाय! प्रश्न: वास्तु में गृह क्लेश के कौन-कौन से कारण माने जाते हैं? मेरे घर में झगड़े बहुत ज्यादा होते हैं। शांति का क्या उपाय हैं? उत्तर: गृह क्लेश के एक नहीं, अनेक कारण हो सकते हैं। कई बार इसके सूत्र वास्तु की दहलीज से निकलकर गृह नक्षत्रों के दामन में…
भारतीय इतिहास के पूरक प्राकृत साक्ष्य भारतीय वाङ्मय के उन्नयन एवं विकास में जिन वरेण्य आचार्य लेखकों ने अपनी अनवरत साधना, गहन चिन्तन एवं अथक परिश्रम के द्वारा उल्लेख योगदान किया है, उन्में जैनाचार्यों द्वारा लिखित उनके बहुआगामी विभिन्न भाषात्मक साहित्य की उपेक्षा नहीं की जा सकती। क्योंकि भारतीय जीवन का शायद ही ऐसा कोई…
संत पानी भरे बादल हैं सच्चे और अच्छे संत पानी भरे बादल के समान होते हैं । उन्हें क्या लेना—देना, भूमि बंजर है या उपजाऊ। उनका उपकार सभी पर समान रूप से होता है। न जाने कब कहां कृपा हो जाये और बरस पड़ें,सच्चे संतों का जीवन सूरज के समान होता है, जिसकी किरण गरीब…
जैन दर्शन में तत्त्वमीमांसा भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही दो प्रमुख संस्कृतियाँ अजस्र धारा में प्रवाहित हो रही हैं जिनमें से एक सा नाम—वैदिक संस्कृति तो दूसरी का नाम श्रमण संस्कृति है। श्रमण संस्कृति तो जैन श्रमण, आर्हत् , निग्र्रंथ, व्रात्य, दिगम्बर, अहिंसा, स्याद्वाद, अनेकान्त और वीतराग—विज्ञान आदि अनेक नामों से जाना जाता है।…
चातुर्मास में क्या करें हम और आप सुनील जैन संचय, ललितपुर एक बार फिर चातुर्मास का काल हम सबके बीच है। हमारे पूज्य संतों और साध्वियों की पूरे भारतवर्ष में जगह—जगह भव्य तरीके से चातुर्मास की स्थापना हो चुकी है। चातुर्मास का समय आत्मसाधना व धर्माराधना का काल होता है । अहिंसा धर्म के पालन…