द्वादश चक्रवर्ती भरत, सगर, मघवा, सनत्कुमार, शान्ति, कुंथु, अर, सुभौम, पद्म, हरिषेण, जयसेन और ब्रह्मदत्त क्रम से ये बारह चक्रवर्ती सब तीर्थंकरों की प्रत्यक्ष एवं परोक्ष वन्दना मेें आसक्त और अत्यन्त गाढ़ भक्ति से परिपूर्ण थे। भरत चक्रवर्ती ऋषभेश्वर के समक्ष, सगरचक्री अजितेश्वर के समक्ष तथा मघवा और सनत्कुमार ये दो चक्री धर्मनाथ और शान्तिनाथ…
स्वस्थ दिल के लिए कारगर घरेलू उपचार भागदौड़ भरी जिंदगी और बेपरवाह जीवनशैली हमारे दिल को तेजी से बीमार बना रही है। दिल के मरीजों की इस तादाद में युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बीमार दिल अपने साथ कई बीमारियां लेकर आता है। जरा-सा काम करने के बाद सांस फुलना, सीढ़ियाँ चढते…
राष्ट्रीय एकता एवं नैतिक मूल्यों की कसौटी पर जैन आचार आज हम ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व आने वाली कठिन और भयावह चुनौतियों से बेचैन और भययुक्त है। ऐसा क्यों हैं ? इसका विश्लेषण करना आज बहुत आवश्यक है। आज जब वैज्ञानिक उन्नति ने विश्व की दूरी बहुत कम कर दी है, तब हमारे पास…
नारी का नारीत्व जहां मानव के कारुण्य को चुनौती दी है भयंकर सर्वग्राही हिंसक प्रवृत्ति ने। विज्ञान के संहारक प्रगतिशील चरणों से धरा संतप्त और प्रकंपित थी। क्षमामयी सहिष्णुता अमर्यादित हो उससे किनारा कर रही थी। उसकी असहन शीलता के परिचायक आज के विकराल भूकम्प, लहलहाती हुई बाढ़े, उसकी घबराहट प्राणियों की मौत बन गई…
कैवल्य वृक्षों का औषधीय महत्व – सिंघई जयकुमार जैन यह शोधलेख- अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है, जो लेखक का श्रमसाध्य खोजपूर्ण कार्य है। २४ तीर्थंकरों ने भिन्न भिन्न वृक्षों के नीचे तपस्या करके केवलज्ञान प्राप्त किया था अस्तु वे -कैवल्यवृक्ष’ कहलाते हैं। लेखक ने दिगम्बर एवं श्वेताम्बर परम्परा से विभिन्न पुराणों के आधार पर कैवल्यवृक्ष तालिका भी…
समयसार के पाठ (प्रस्तुत स्तम्भ में समयसार के पाठों की उन भूलों की ओर ध्यानाकर्षित किया जा रहा है, जो कि आधुनिक सम्पदकों/प्रकाशकों की असावधानी अथवा मूलपाठ न देखने की प्रवृत्ति अथा मात्र प्रकाशरुचि से ‘मक्षिकास्थाने मक्षिकानिक्षेप:’ की वृत्ति से छपने के कारण ‘समयसार’ के कतिपय प्रकाशित संस्करणों में आ गयीं है। और जिनके कारण…
४ – कुष्ठी श्रीपाल के साथ मैनासुन्दरी का विवाह राजा पुहुपाल मैनासुंदरी से चर्चा के बाद विहार के लिए यहाँ आ गए। उन्होंने श्रीपाल को देखा और पूछा— ‘‘आप कौन हैं? और यहाँ कैसे आ गए?’’ श्रीपाल ने कहा— ‘‘नरनाथ! अपने अशुभ कर्मों का फल भोगता हुआ, इष्ट मित्रों सहित यहाँ आकर ठहरा हूँ।’’ ‘कर्मों…
ब्यूटी के लिए बस पाँच मिनट बादाम, गुलाब केफूल, चिरौंजी और पिसा जायफल रात को दूध में भिगों दें। सुबह इसे पीस कर इसका उबटन लगाएं। इससे चेहरे के दाग—धब्बे मिटते हैं और त्वचा कान्तिमय बनती है। धूप में अक्सर हमारी त्वचा झुलस जाती है और काली पड़ जाती है। त्वचा के रंग को पूर्ववत्…