आओ आओ सब नर-नारी, गुरुभक्ति की बेला प्यारी … तर्ज-मैंने पायल है छनकाई………… आओ-आओ सब नर-नारी, गुरुभक्ती की बेला प्यारी। इनको वंदन है बारम्बार, हो माता-कर दो अब उद्धार, हो माता-कर दो अब उद्धार। मात चन्दनामती जी, जो कि प्रज्ञाश्रमणी हैं। इनकी लेखन शैली है, अती उत्तम-इनके……. इनके प्रवचन सुनकर सब जन, आनन्दित हो जाते…
दीक्षा का पावन दिवस,मंगलमयी आज है… तर्ज-फूलों सा चेहरा………. दीक्षा का पावन दिवस, मंगलमयी आज है। निज-पर कल्याण करें, चिंतन दिन-रात करें, चन्दनामती मात हैं।। ग्यारह बरस की छोटी उमर में, घरबार के मोह को छोड़ा है। खाने-खेलने की ही आयु में, संसार से तुमने मुख मोड़ा है।। मात मोहिनी की, सन्तान बारवीं, बचपन में…
आई दीक्षा जयंती आज … तर्ज-तुम करो प्रभु से प्यार……..(तुम करो पंचकल्याण) आई दीक्षा जयंती आज, प्रज्ञाश्रमणी की। चंदनामती जी मात, प्रज्ञाश्रमणी की। करो सब मिल जय जयकार, प्रज्ञाश्रमणी की।। ज्येष्ठ बदी मावस की तिथि की। मोहिनी ने कन्या जन्मी थी। माधुरी वही हैं आज, प्रज्ञाश्रमणी जी।।१।। आई………… प्रथम बार गुरु दर्शन पाए। गोम्मटसार…
शिवपथ पे हैं चली ,नाजों में हैं जो पली … तर्ज-ना कजरे की धार………….. शिवपथ की ओर चलीं, नाजों में हैं जो पली, नाजुक सी हैं जो कली, वही हैं चन्दनामति माता, हाँ चन्दनामति माता। लेखनि है जादूभरी, वाणी है सरस बड़ी, अनुपम अनमोल मणी, यही हैं चन्दनामति माता, हैं चन्दनामति माता।। बचपन से ही…
दीक्षा रजत जयंती माता चंदनामति की आयी तर्ज-माई रे माई………….. दीक्षा रजत जयंती माता चंदनामति की आयी, त्याग मार्ग की अनुपम महिमा चहुँ ओर है छायी, बोलो जय जय जय, बोलो जय जय जय।। गणिनी ज्ञानमती की शिष्या, ब्रह्मचर्य को धारा, तेरह वर्ष की अल्पायु में, जग से किया किनारा, विषय-सुखों को त्याग आपने………….
बार-बार तोहे शीश नवाऊँ … बार-बार तोहे शीश नवाऊँ आऊँ तेरे द्वार। माताजी की, बोलो सभी मिल जयजयकार।। पितु श्री छोटेलाल मोहिनी माँ के घर में जन्मी। नाम माधुरी प्राप्त किया औ घर में खुशियाँ फैली।। बचपन से पाया तुमने, मोहिनी माँ से संस्कार चन्दनामति माताजी की, बोलो सभी मिल जयजयकार।।१।। श्रावण कृष्णा ग्यारस का…
आई दीक्षा जयंती आज … तर्ज-चाँद मेरे आ जा रे……… आज हम वन्दन करते हैं-२ चन्दनामती के, प्रज्ञागुणों को, वन्दन करते हैं।। आज हम..।।टेक.।। माँ ज्ञानमती जी की शिष्या, चन्दन बनकर तुम आई। वर ज्येष्ठ वदी मावस को, तुमने धरती महकाई।। बालसति पद में नमते हैं-२।।१।। लघु वय में तुमने अपने, जीवन में त्याग…