धूंघट के पट खुलने पर
धूंघट के पट खुलने पर…! (काव्य बत्तीस व तेतींस से सम्बन्धित कथा) ‘‘आँखों के अंधे, नाम नयन सुख।’’ कहावत चरितार्थ हो रही थी।राजकुमारी रतनशेखर की शादी को अभी कुछ ही दिन शेष थे।राजसी वृत्ति के युवक विवाह के लिए तत्पर रहते हैं, और विशेष कर मंगनी के पश्चात् तो विवाह के शुभ दिन का बैचनी…