ब्रह्मचर्य :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:सूक्तियां ]] == ब्रह्मचर्य : == जीवो बंभा जीवम्मि चेव चरिया, हविज्ज जा जदिणो। तं जाण बंभचेरं, विमुक्कपरदेहतित्तिस्स।। —भगवती आराधना : ८७८ ब्रह्म का अर्थ है—आत्मा। आत्मा में चर्या—रमण करना ब्रह्मचर्य है। ब्रह्मचारी की परदेह में प्रवृत्ति और तृप्ति नहीं होती। मातृसुताभगिनीमिव च, दृष्ट्वा स्त्रीत्रिकं च प्रतिरूपम्। स्त्रीकथादिनिवृत्ति—स्त्रिलोकपूज्यं भवेद् ब्रह्म।। —समणसुत्त…