अविद्या :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] == अविद्या : == यावन्तोऽविद्यापुरुषा:, सर्वे ते दु:खसम्भवा:। लुप्यन्ते बहुशो मूढा:, संसारेऽनन्तके।। —समणसुत्त : ५८८ समस्त अविद्यावान (अज्ञानी पुरुष) दु:खी हैं—दु:ख के उत्पादक हैं। वे विवेक—मूढ़ अनन्त संसार में बार—बार लुप्त होते हैं।